भगवान हर जगह मौजूद नहीं हो सकते इसलिए उन्होंने मां को बनाया ..
1 min readANWAR KHAN
स्मृति शेष:
स्व श्रीमती चलती देवी अग्रवाल
मां की परिभाषा शब्दों में बयां नहीं की जा सकती मां ईश्वर की पवित्र रचना है और हमें जीवन प्रदान करने का एक स्रोत है व निस्वार्थ प्रेम बलिदान क्षमा और धैर्य की एक पवित्र मूर्ति हैA वह मार्गदर्शक आत्मा है जो हमें सही रास्ते पर आगे बढ़ने का हमारे जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद करती है या एक सामान्य कहावत है कि भगवान हर जगह मौजूद नहीं हो सकते इसलिए उन्होंने मां को बनाया हमारे जीवन में मां की भूमिका हमेशा हमारे जीवन में शामिल अन्य की तुलना में अलग और कीमती होती है मां अपने बच्चों से कभी कुछ वापस नहीं चाहती बल्कि वह हमेशा खुले दिल से प्यार करती है हम एक बच्चे के रूप में भी प्यार करते हैं और उसे अपने दिल से देखते हैं लेकिन हमारे प्यार की तुलना उसके साथ नहीं की जा सकती मां इस दुनिया में हर किसी के जीवन में एक देवी के रूप में आदित्य है जो हमेशा अपने बच्चे के सभी दर्द लेती है और प्यार और देखभाल देती है ममता की ऐसी की प्रतिमूर्ति थी श्रीमती चलती देवी अग्रवाल जिनके आशीश ने सरगुजा से लेकर रायगढ़ तक को आबाद किया 75 वर्ष की अवस्था में 28 फरवरी को श्रीमती चलती देवी ने संसार सागर को अलविदा कह दिया किंतु अपने पीछे स्मृतियों को ऐसा संसार छोड़ गई जो संभ्रांत समाज व नारी अस्मिता के लिए आजीवन बनी रहेगी 4 फरवरी 1946 को सरगुजा के सीतापुर में प्रतिष्ठित कारोबारी चिरंजी लाल अग्रवाल व गिंदोड़ी देवी के घर में जन्मी चलती देवी पर बाल मन से ही परिवार के उच्च संस्कारों का असर नजर आने लगा था 15 वर्ष की आयु से 10 मार्च 1961 को चलती देवी सूरजपुर के प्रतिष्ठित व्यापारी भोला प्रसाद अग्रवाल से परिणय सूत्र में बंध गई नाम के अनुरूप ही भोला प्रसाद भी सत्चरित्र और धर्म परायण थे ।
जिन्हें श्रद्धा और भक्ति भाव से भरी चलती देवी का साथ मिलते ही सूरजपुर के अग्रवाल परिवार की परिवारिक और समाजिक खुशियां ना सिर्फ बढ़ती चली गई बल्कि समाज में एक मिसाल बन गई कहा जाता है कि माता के संस्कारों का प्रभाव संतान पर बहुत गहरा पड़ता है शायद यही वजह है कि चलती देवी के ममत्व स्त्रेह के आंचल की छांव में पुष्पित और पल्लवित हुई उनकी चार पुत्रियां कुसुम ललिता संगीता व रेखा तथा तीन सुपुत्र पवन अग्रवाल हरी विलास व अजय अग्रवाल ने अपने माता-पिता के इच्छा और भावनाओं का न केवल मान बढ़ाया बल्कि सर्व समाज के उत्थान के लिए अपने संस्कारों व क्षमता का भरपूर उपयोग किया है ।
संनातन धर्म के प्रति अगाध श्रद्धा और जिवो में भागवत दर्शन मान पशु पक्षियों की सेवा की जीवन भर अपनी दिनचर्या में शामिल किया जिसकी झलक आज सूरजपुर के सालासर गौशाला के गोसेवा की सेवा के तौर पर गौ सेवा का एक स्थापित केंद्र बन चुका है सुपुत्र हरी विलास अग्रवाल बताते हैं कि माता का चंद्र समान शीतल स्त्रेह सभी पर समान भाव से बरसता था उनकी ममता जितनी थी भावना भी उतनी ही पुनीत रही सूरजपुर के सावारावा मैं गायत्री विद्यालय की स्थापना चलती देवी के धार्मिक संस्कार की झलक देता है जहां वेदशाला में रोजाना सैकड़ों विद्यार्थी वेद शास्त्र की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं पति भोला प्रसाद अग्रवाल के साथ सूरजपूर सरगुजा रायगढ़ में भी हरि हरात्मक यज्ञ श्री राम कथा श्रीमद् भागवत समेत विराट धन अयोजनो इस परिवार की सहभगीता व उपस्थिति चलती देवी के धार्मिक संस्कारों की ऐसी बानगी है जो चिरस्मृत रहेगी आज उद्योग से लेकर विभिन्न उद्योग में शामिल नामचीन उद्योगपति व कारोबारी पवन हरी विलास व अजय अग्रवाल अपनी पूरी सफलता का श्रेय माता चलती देवी के चरणों को अर्पित करते हैं और निकट भविष्य में चलती देवी के सत्कर्मो एक अस्थाई स्मृति भी निर्मित करने की इच्छुक है जिसकी छाया अथवा संपर्क में आकर हर कोई माता चलती देवी के ममत्व व वात्सल्य का सुखद अनुभव कर सके आज माता की प्रतिमूर्ति श्रीमती स्वर्गीय चलती देवी अग्रवाल भले ही समाज के स्मृतियो में शेष हो किंतु अपनी संतानों में अंकुरित कर दी गई उनके मानवीय गुणों की पौध एक विटा रूप में उनके पुरूषार्थ उधम सेवा और संस्कार के माध्यम से पूर्वजों की ख्याति को अमर पहचान दिलाने की और संकल्पित भाव से जुटी हुई है।
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