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22nd May 2025

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सालों से पानी के लिए तरसते रहे ग्रामीण, अब घर तक पहुँचा साफ पानी – खास खबर का बड़ा असर, प्रशासन हरकत में आया!

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AMIR PATHAN

सूरजपुर। गांव का नाम है डूमर भावना (कोट) और उसके अंदर बसा है डूमर भावना गांव के लोग बरसों से शुद्ध पानी के लिए तरसते रहे। पानी के लिए रोज़ाना दो से तीन किलोमीटर दूर जाना, गंदा पानी पीना और बच्चों की सेहत खराब होना – जैसे इनकी जिंदगी का हिस्सा बन चुका था।

कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से शिकायत की गई, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिला, कोई काम नहीं हुआ। हैंडपंप सूखे पड़े थे, नल के कनेक्शन कागज़ों में थे, और हकीकत में सिर्फ इंतज़ार था।

इसी बीच खास खबर की टीम जब गांव पहुँची, तो गांव की महिलाओं ने अपनी परेशानी खुलकर बताई। किसी ने कहा – “सालों से गंदा पानी पीते आ रहे हैं”, तो किसी ने रोते हुए बताया – “बच्चे बीमार हो जाते हैं, लेकिन कोई नहीं सुनता।”

इस खबर को खास खबर ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
गांव की हालत और महिलाओं की आवाज़ गूंजी तो प्रशासन की भी नींद खुली। कलेक्टर ने तुरंत पीएचई विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाई, और अगली सुबह ही विभाग की टीम गांव में पहुँची।

जिन तीन हैंडपंपों को लोग कब का भूल चुके थे, उन्हें ठीक किया गया। कहीं मरम्मत हुई, कहीं गहराई तक सफाई की गई। कुछ ही घंटों में हैंडपंप से साफ पानी निकलने लगा।

गांव की महिलाओं के चेहरे पर जो खुशी नजर आई, वो शब्दों से बयां करना मुश्किल है। एक महिला ने बताया –
“अब दूर नहीं जाना पड़ेगा। पहले गंदा पानी पीते थे, अब घर के पास से साफ पानी मिल रहा है। हम बहुत खुश हैं।”

ग्रामीणों ने खास खबर की टीम का आभार जताया।
एक बुजुर्ग बोले –
“अगर ये खबर नहीं चलती, तो शायद हमें अभी भी गंदा पानी ही पीना पड़ता। आप लोगों ने हमारी आवाज़ को दुनिया तक पहुँचाया, इसके लिए धन्यवाद।”

अब गांव में साफ पानी की सुविधा है। हैंडपंप से रोजाना पानी निकल रहा है और लोग पहले से ज्यादा राहत महसूस कर रहे हैं। बच्चों की सेहत को लेकर अब लोग निश्चिंत हैं और महिलाएं कहती हैं –
“अब पानी के लिए रोज भागना नहीं पड़ेगा, घर के पास ही हैंडपंप से भर लेते हैं।”

खास खबर की इस रिपोर्ट का असर ये साबित करता है कि जब सच्चाई को सही तरीके से दिखाया जाए, तो व्यवस्था को भी झुकना पड़ता है।

डूमर बोना पारा के लोग अब राहत की सांस ले रहे हैं। लेकिन सवाल ये है – क्या बाकी गांवों की भी सुनवाई होगी? या फिर उन्हें भी अपनी तकलीफ टीवी पर लानी पड़ेगी?



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