तीन दिन बाद खुद नीचे उतरा पेड़ पर चढ़ा ग्रामीण, पूजा-पाठ के बाद बदला माहौल!
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AMIR PATHAN
सूरजपुर – प्रेमनगर । नगर पंचायत क्षेत्र के बरईहाडांड़ गांव से शुक्रवार को एक राहत भरी खबर सामने आई। बीते तीन दिनों से गांव के बाहर एक ऊंचे पेड़ पर बैठे मानसिक रूप से अस्वस्थ ग्रामीण ने आखिरकार खुद नीचे उतरने का निर्णय लिया। यह घटनाक्रम जहां प्रशासनिक प्रयासों के लिए एक सीख बनकर सामने आया, वहीं ग्रामीणों की संयमित सोच और आस्था ने इस चुनौती को सुलझा लिया।
तीन दिन से पेड़ पर डटा था ग्रामीण
गांव के लोगों के अनुसार, मानसिक रूप से अस्वस्थ ग्रामीण मंगलवार को गांव के बाहर स्थित एक बड़े पेड़ पर चढ़ गया था और सीधा सबसे ऊंची टहनी पर जा बैठा। उसके बाद से वह लगातार वहीं बैठा रहा। न खाना खाया, न पानी पिया। परिजन और गांववाले लगातार उसे समझाने की कोशिश करते रहे, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।
प्रशासन ने चलाया रेस्क्यू ऑपरेशन, पर सफलता नहीं मिली
घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन हरकत में आया। पुलिस बल, डीडीआरएफ की रेस्क्यू टीम और स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंची। तीन दिन तक लगातार बचाव कार्य की कोशिशें की जाती रहीं, लेकिन पेड़ की ऊंचाई और युवक की अस्थिर मानसिक स्थिति के चलते उसे नीचे उतारना आसान नहीं था। कोई जोखिम भरा कदम न उठाते हुए टीम ने संयम से काम लिया, लेकिन रेस्क्यू सफल नहीं हो सका।
गांव में हुआ पूजा-पाठ, फिर युवक ने खुद लिया निर्णय
शुक्रवार सुबह गांव के बुजुर्गों और परिजनों ने मंदिर में पूजा-पाठ करवाया और पेड़ के नीचे शांतिपूर्वक धार्मिक अनुष्ठान किया। ग्रामीणों के अनुसार, जैसे ही पूजा पूरी हुई, ग्रामीण ने खुद नीचे उतरने का प्रयास शुरू किया। धीरे-धीरे वह सुरक्षित रूप से ज़मीन पर आ गया। यह दृश्य देखकर मौके पर मौजूद लोग राहत की सांस लेते नजर आए।
डॉक्टरों की टीम ने किया प्राथमिक उपचार
जैसे ही ग्रामीण नीचे उतरा, स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उसे तुरंत प्राथमिक चिकित्सा दी। चिकित्सकों के अनुसार, ग्रामीण अत्यधिक थका हुआ था और मानसिक रूप से असंतुलित प्रतीत हो रहा था। फिलहाल उसे स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया है, जहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में उसका इलाज चल रहा है।
गांव में बना संतुलन का माहौल,
घटना के बाद गांव में शांति और संतुलन का वातावरण है। परिजन और ग्रामीण राहत महसूस कर रहे हैं कि ग्रामीण सुरक्षित है। हालांकि, तीन दिन तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बावजूद ग्रामीण को सुरक्षित नीचे न उतार पाने को लेकर प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठने लगे हैं। वहीं, प्रशासन का कहना है कि स्थिति को देखकर पूरी सावधानी से काम लिया गया और किसी प्रकार की दुर्घटना न हो, इसका विशेष ध्यान रखा गया।