ब्रेकिंग न्यूज़ : नशा मुक्ति केंद्र में युवक की संदिग्ध मौत! परिजनों ने लगाया मारपीट का आरोप, शरीर पर मिले गंभीर चोट के निशान!
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सूरजपुर। ये कहानी सिर्फ़ एक घर की नहीं, ये दर्द हर उस माँ-बाप का है जो अपने बिगड़ते बेटे को सुधारने के लिए इन नशा मुक्ति केंद्रों के दरवाज़े तक ले जाते हैं। लेकिन सवाल ये है कि वहां सुधार होता है या क़त्ल? सूरजपुर के मंडी रोड पर बने एक नशा मुक्ति केंद्र में 24 साल के विजय जो गोविंदपुर निवासी की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। घरवाले बोले—ये मौत नहीं, मारपीट का नतीजा है! बेटे के जिस्म पर पड़े गहरे ज़ख़्म, नीले पड़े हुए हाथ-पैर, सूजा हुआ चेहरा—सब कुछ चीख-चीख कर कह रहा था कि उसके साथ दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी गईं।

सुधार केंद्र या मौत का अड्डा?
परिजनों का कहना है कि युवक को नशे से बाहर निकालने के लिए नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया गया था, लेकिन वहां उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। जिस जगह पर लोग उम्मीद से अपने परिजनों को छोड़ते हैं, वहां से अब लाशें निकलने लगी हैं!
चीखता रहा, तड़पता रहा, लेकिन किसी ने नहीं सुनी
सूत्र- परिजनों के मुताबिक, विजय को दो दिन पहले ही नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया गया था। उम्मीद थी कि बेटा नशे से बाहर निकलेगा, मगर दो दिन बाद मौत की ख़बर आई। परिजनों का कहना है कि विजय को सुधारने के नाम पर इतना पीटा गया कि उसकी चीखें दीवारों से टकरा-टकराकर लौट आईं, मगर कोई रहम खाने वाला नहीं था। जब वो तड़प-तड़प कर निढाल हो गया, तब उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक वो दुनिया छोड़ चुका था।
मौत के बाद लीपापोती की कोशिश!
जैसे ही विजय की मौत हुई, नशा मुक्ति केंद्र वालों के हाथ-पांव फूल गए। आनन-फानन में उसे अस्पताल ले गए ताकि सब कुछ “नॉर्मल” दिखे, लेकिन डॉक्टर ने साफ़ कह दिया—वो तो कब का जा चुका था! इसके बाद अस्पताल में कोहराम मच गया। घरवालों ने आरोप लगाया कि यह कोई हादसा नहीं, बल्कि बेरहमी से की गई है।
परिजनों का फूटा गुस्सा, अस्पताल में हंगामा
जैसे ही युवक की मौत की खबर उसके परिवार को लगी, वे तुरंत अस्पताल पहुंचे और वहां कोहराम मच गया। परिजनों ने आरोप लगाया मारपीट करने की वजह से उसकी मौत हुई है, और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल!
अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इन केंद्रों की सही तरीके से निगरानी कर रहा है? क्या यह मौत किसी बड़ी लापरवाही का नतीजा है? या फिर मामला कुछ और ही है?
आखिर कब तक यूं ही मरते रहेंगे लोग?
इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या नशा मुक्ति केंद्र सुधार के लिए बने हैं या फिर यह मौत की मंडियां बन चुकी हैं? अगर ऐसा ही चलता रहा, तो अगला शिकार कौन होगा?
फिलहाल शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है , लेकिन सवाल वही है—क्या इस बार भी मामला फाइलों में दबकर रह जाएगा या फिर दोषियों को सख्त सजा मिलेगी?