ओपन इम्तिहान के नाम पर वसूली का काला खेल, फीस के फंदे में फंसी ईमानदारी—केंद्राध्यक्ष की कुर्सी हुई ज़ब्त!
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AMIR PATHAN
सूरजपुर। तिवरागुड़ी के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में ओपन परीक्षा के नाम पर अभ्यर्थियों से वसूली का बड़ा मामला सामने आया है। परिजनों की शिकायतों के बाद शिक्षा विभाग हरकत में आया और केंद्राध्यक्ष विद्या जयसवाल को उनके पद से हटा दिया गया। दिलचस्प बात यह है कि हटाने की वजह के तौर पर “बीमारी” को आधार बनाया गया है, मगर अंदरखाने यह चर्चा है कि यह कार्रवाई अभिभावकों के गुस्से और शिकायतों का नतीजा है।
फीस से ज्यादा पैसे लेने का आरोप, परिजनों ने खोला मोर्चा
सूत्रों के मुताबिक, हायर सेकेंडरी ओपन परीक्षा में शामिल हो रहे छात्रों के परिजनों ने आरोप लगाया था कि परीक्षा शुल्क से ज्यादा पैसे मांगे जा रहे थे। मामला धीरे-धीरे तूल पकड़ता गया और फिर शिक्षा विभाग तक पहुंचा। पहले तो प्रशासन इस मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश करता रहा, लेकिन जब शिकायतों की संख्या बढ़ी, तो जिला शिक्षा अधिकारी भारती वर्मा को एक्शन लेना पड़ा।
बीमारी का बहाना, मगर कहानी कुछ और…
शिक्षा विभाग ने आदेश में साफ तौर पर लिखा कि विद्या जयसवाल को “बीमारी” की वजह से केंद्राध्यक्ष पद से हटाया जा रहा है। मगर अंदरखाने इससे अलग ही कहानी चल रही है। कहा जा रहा है कि शिकायतों की गंभीरता को देखते हुए विभाग ने उन्हें हटाने का फैसला तो कर लिया, मगर उनकी छवि खराब न हो, इसलिए बीमारी का बहाना बना दिया गया। लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर यह मामला उजागर नहीं होता, तो क्या कोई कार्रवाई होती?
बिजेंद्र सिंह बने नए केंद्राध्यक्ष
विद्या जयसवाल की छुट्टी होते ही शिक्षा विभाग ने फौरन नया केंद्राध्यक्ष नियुक्त कर दिया। अब तिवरागुड़ी स्कूल में परीक्षा संचालन की जिम्मेदारी बिजेंद्र सिंह को दी गई है। यह आदेश आते ही स्कूल प्रशासन में हड़कंप मच गया, क्योंकि ज्यादातर लोग इस फैसले की उम्मीद नहीं कर रहे थे।
शिक्षा विभाग पर उठ रहे सवाल
इस पूरे मामले ने शिक्षा विभाग की पोल खोलकर रख दी है। सवाल यह है कि क्या विभाग को पहले से इस वसूली का अंदाजा नहीं था? अगर अभिभावकों ने हंगामा नहीं किया होता, तो क्या विद्या जयसवाल अब भी अपने पद पर बनी रहतीं? यह मामला कहीं न कहीं यह साबित करता है कि शिक्षा विभाग तब तक आंखें मूंदे बैठा रहता है, जब तक कोई बड़ा बवाल न हो।
अब क्या होगा?
फिलहाल, केंद्राध्यक्ष को हटा दिया गया है, लेकिन इस फैसले से मामला खत्म नहीं हुआ है। सवाल उठता है कि क्या सिर्फ एक व्यक्ति को हटाने से समस्या का हल हो जाएगा? शिक्षा विभाग को इस गोरखधंधे की जड़ तक जाना होगा। वरना आज विद्या जयसवाल गई हैं, कल कोई और इसी कुर्सी पर बैठकर वही खेल खेलेगा?
अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस मुद्दे को लेकर और क्या कदम उठाता है या फिर यह मामला भी कुछ दिनों में ठंडा पड़ जाएगा। मगर इतना तय है कि इस खुलासे के बाद सूरजपुर की शिक्षा व्यवस्था कटघरे में खड़ी हो गई है?
… आदेश:-
