“नीलगिरि के तनों से बहा मुनाफे का रस, अब राजस्व की कुल्हाड़ी ने ली एंट्री – ट्रैक्टर जब्त, ड्राइवर फरार, और पर्दे के पीछे छुपे असली खिलाड़ी अभी भी बाहर!”
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AMIR PATHAN
सूरजपुर, 23 अप्रैल 2025। गजाधरपुर गांव में नीलगिरि के हरे-भरे पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाने वालों की अब खैर नहीं। कल दोपहर जो हुआ, उसने पूरे इलाके में हलचल मचा दी। राजस्व विभाग की टीम ने अवैध कटाई करते हुए एक ट्रैक्टर को रंगे हाथों पकड़ लिया। ड्राइवर मौके से गाड़ी छोड़ भाग निकला, लेकिन लकड़ी समेत ट्रैक्टर जब्त कर लिया गया।
सूत्रों की मानें तो गांव के ही सोमार साय नामक शख्स ने नीलगिरि के दो पेड़ कटवा दिए और ट्रैक्टर में भरवा कर कहीं ले जाया जा रहा था। जैसे ही हल्का पटवारी और राजस्व निरीक्षक लटोरी को सूचना मिली, उन्होंने बिना देर किए ट्रैक्टर को रास्ते में ही धर दबोचा। ट्रैक्टर रोकते ही ड्राइवर ऐसा गायब हुआ मानो गधे के सिर से सींग।
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर इतनी देर से प्रशासन जागा क्यों?
कई बार स्थानीय ग्रामीणों और पत्रकारों ने इस अवैध कटाई की ओर प्रशासन का ध्यान खींचा। खबरें छपीं, वीडियो वायरल हुए, लेकिन अधिकारियों का वही घिसा-पिटा जवाब – “नीलगिरि छूट प्रजाति का है, इसमें परमिशन की जरूरत नहीं होती।”
लेकिन अब सूरजपुर में जैसे ही गर्मी चढ़ी, वैसे ही कुछ अफसरों की पेशानी पर भी पसीना आ गया। अब कार्रवाई हो रही है, अब नियम-कानून की दुहाई दी जा रही है। तो सवाल यह है – क्या अब तक जो हजारों पेड़ काट डाले गए, उस पर भी कोई कार्रवाई होगी या यह सिर्फ दिखावे का ड्रामा है?
उत्तर प्रदेश से आए ‘लकड़ी माफिया’ की करतूतें जगजाहिर हैं
यह कोई पहली बार नहीं है, जब गजाधरपुर जैसे सीमावर्ती गांवों में अवैध लकड़ी कटाई की खबरें आई हों। यूपी से आए कुछ कथित माफिया यहां के भोले किसानों से साठगांठ कर पेड़ काट रहे हैं और ट्रैक्टरों में भर-भरकर ले जा रहे हैं। और अफसर? पहले चुप थे, अब नींद से जागे हैं।
अब जनता पूछ रही है – कार्रवाई दिखावटी है या असली?
गांव वालों में अब एक नई उम्मीद जागी है कि शायद इस बार प्रशासन सख्त रुख अपनाए। लेकिन लोगों को डर भी है – कहीं यह सब सिर्फ एक-दो दिन की ‘कागजी गर्मी’ तो नहीं? जो ट्रैक्टर पकड़ा गया, उसका मालिक कौन है? ड्राइवर कहां गायब हो गया? क्या कोई बड़ी कार्यवाही होगी या ‘समझौते’ की पटरी पर ही मामला रफादफा?
एक वरिष्ठ पत्रकार की कलम से सवाल
अगर सच में प्रशासन इस बार ईमानदार है, तो पिछली सारी अवैध कटाइयों की जांच क्यों नहीं? अब तक कितने ट्रैक्टर पकड़े गए? कितने लोगों पर कार्यवाही हुई? अगर जवाब नहीं है, तो यह कार्यवाही सिर्फ जनता की आंखों में धूल झोंकने जैसा है।
अब देखने वाली बात ये होगी कि ये ‘नीलगिरि नाटक’ कितने दिन चलेगा।
अगली किस्त का इंतज़ार रहेगा – ड्राइवर पकड़ा गया या नहीं? हालांकि इस पूरेमामले में सोमार साय चर्चित जरूर हो गया और अब फिर वही ‘छूट प्रजाति’ की ढाल लेकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
जिस लकड़ी को आज प्रशासन “अवैध” बता रहा है, क्या वही पहले ‘वेद’ थी?क्या तब यही अफसर इसे छूट प्रजाति कहकर आंख मूंदे बैठे थे? और क्या कुछ लोगों ने मिलकर इसे वैध साबित करने की पटकथा पहले से लिख रखी थी?अब सवाल ये है – तब जो सही था, वो आज गलत कैसे हो गया?या फिर पहले भी कुछ छुपाया जा रहा था… और आज भी कुछ बचाया जा रहा है?
खबरें और भी आएंगी… क्योंकि पेड़ों की कटाई अब सिर्फ जंगल की नहीं, व्यवस्था की भी हो रही है।