हमलावरों ने बर्बरता की, लेकिन अधिकारी ने समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया…
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सूरजपुर जिले के देवनगर स्थित धान संग्रहण केंद्र पर 1 जनवरी की रात एक सनसनीखेज और क्रूर घटना सामने आई है, जिसने प्रशासन की कार्यप्रणाली और जिम्मेदारी पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। हमलावरों ने केंद्र पर तैनात चौकीदार और एक स्थानीय ग्रामीण पर बेरहमी से हमला किया, दोनों को गंभीर रूप से पीटने के बाद मरा हुआ समझकर छोड़ दिया।
ग्रामीण की स्थिति नाजुक घायल ग्रामीण को सुबह स्थानीय लोगों ने देखा और तुरंत परिजनों को सूचित किया। उसे पहले जिला अस्पताल लाया गया, लेकिन उसकी हालत गंभीर होने के कारण उसे अंबिकापुर के निजी अस्पताल में रेफर किया गया। फिलहाल, उसकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है और उसे अभी तक होश नहीं आया है।
प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल यह दर्दनाक घटना उस समय हुई जब जिले के विपणन अधिकारी बीएसटी भी धान संग्रहण केंद्र पर मौजूद थे। सीसीटीवी फुटेज के मुताबिक, अधिकारी घटना के दौरान घटनास्थल पर थे, लेकिन न तो उन्होंने किसी प्रकार की हस्तक्षेप किया और न ही पुलिस को सूचित किया। अधिकारियों की इस खामोशी और लापरवाही ने पूरे प्रशासनिक तंत्र की नकारात्मक भूमिका को उजागर किया है, जिससे पीड़ित की स्थिति और गंभीर हो गई।
सीसीटीवी फुटेज से मिलेगा दोषियों का पता धान संग्रहण केंद्र में लगे सीसीटीवी कैमरों में हमलावरों द्वारा किए गए हमले का पूरा विवरण कैद हो चुका है। कोतवाली पुलिस ने इन फुटेज के आधार पर मामले की जांच शुरू कर दी है और दोषियों की पहचान करने का दावा किया है। हालांकि, सवाल यह उठता है कि जब यह घटना घटित हो रही थी, तो अधिकारियों ने हस्तक्षेप क्यों नहीं किया?
सुरक्षा व्यवस्था पर संकट यह घटना सूरजपुर जिले में बढ़ते अपराधों की ओर इशारा करती है। स्थानीय लोग आरोप लगाते हैं कि पुलिस की मौजूदगी और सुरक्षा व्यवस्था में कमी आई है, जिसके कारण अपराधियों को खुला माहौल मिला। नागरिकों का मानना है कि पुलिस और प्रशासन को समय रहते सक्रिय होना चाहिए था, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। अब नागरिकों ने सख्त कार्रवाई की मांग की है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके।
प्रशासन पर बढ़ता दबाव ध्यान देने योग्य बात यह है कि संवेदनशील स्थानों जैसे धान संग्रहण केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि प्रशासन इन स्थानों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात करे और अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।
यह घटना न केवल एक संगीन अपराध है, बल्कि यह प्रशासन की विफलता का भी प्रतीक बन चुकी है। अब देखना यह होगा कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और पीड़ितों को न्याय दिलाने में कितनी तत्परता दिखाते हैं।