सूरजपुर के दूधोंपारा में मूलभूत सुविधाओं के अभाव पर मतदान बहिष्कार, प्रशासन के आश्वासन के बाद शुरू हुआ मतदान ..
1 min read
सूरजपुर। जिले के दूधोंपारा गांव में मतदान को लेकर अनूठा घटनाक्रम देखने को मिला, जहां ग्रामीणों ने अपने अधिकार का उपयोग करने से पहले मूलभूत सुविधाओं की मांग को प्रमुखता दी। जिले में सुबह 7 बजे से मतदान शुरू होना था, लेकिन इस गांव के लोगों ने सड़क, बिजली और पानी जैसी आवश्यक सुविधाओं के अभाव में मतदान का बहिष्कार कर दिया। ग्रामीणों का कहना था कि जब तक उन्हें इन सुविधाओं को लेकर ठोस आश्वासन नहीं मिलेगा, तब तक वे अपने मताधिकार का उपयोग नहीं करेंगे।
गांव के 233 मतदाताओं ने मतदान केंद्र पर पहुंचने से इनकार कर दिया और मतदान प्रक्रिया को रोक दिया। इस स्थिति को देखते हुए निर्वाचन अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे अपनी मांगों पर अड़े रहे। ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से कहा कि केवल मौखिक आश्वासन से वे संतुष्ट नहीं होंगे, उन्हें लिखित में प्रशासन से यह आश्वासन चाहिए कि उनकी समस्याओं का समाधान जल्द किया जाएगा।

प्रशासन ने दिया लिखित आश्वासन, मतदान हुआ प्रारंभ
लगातार समझाइश और बातचीत के बाद, अंततः प्रशासन ने ग्रामीणों की मांगों को गंभीरता से लेते हुए लिखित में यह आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाएगा। इसके बाद ग्रामीण मतदान के लिए तैयार हुए और मतदान प्रक्रिया शुरू हुई। हालांकि, इस पूरे घटनाक्रम के चलते मतदान में लगभग दो घंटे की देरी हुई, लेकिन अब मतदान सुचारू रूप से चल रहा है। चुनाव अधिकारियों का अनुमान है कि दोपहर 3 बजे तक मतदान प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और 100% मतदान सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा।
खस्ताहाल सड़कें, पत्रकारों को भी पैदल चलना पड़ा
गांव की दुर्दशा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए रिपोर्टर्स और अधिकारियों को भी करीब डेढ़ किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। सड़कें बदहाल हैं और आवागमन की स्थिति दयनीय बनी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से वे सड़क, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं की मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन ही मिले हैं, समाधान नहीं। इस बार उन्होंने अपने अधिकार का उपयोग कर सरकार और प्रशासन तक अपनी आवाज़ पहुंचाने का निर्णय लिया।
ग्रामीणों का सशक्त कदम, चुनावी प्रक्रिया के लिए संदेश
दूधोंपारा के ग्रामीणों का यह कदम लोकतंत्र में जनसरोकार की ताकत को दर्शाता है। एक ओर जहां मतदान का बहिष्कार लोकतांत्रिक प्रक्रिया में एक कठोर कदम माना जाता है, वहीं दूसरी ओर यह प्रशासन के लिए एक स्पष्ट संदेश भी है कि जनता अब सिर्फ आश्वासनों पर नहीं, बल्कि ठोस कार्यवाही पर विश्वास करना चाहती है।