ख ख सू: “कोल परियोजना पर्यावरण जनसुनवाई का विरोध””हजारों की तादाद में ग्रामीण कोल परियोजना के खिलाफ नारेबाजी कर अपना विरोध प्रदर्शन”किया,,,,
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सूरजपुर:- छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में प्रकाश इंडस्ट्रीज को आवंटित भास्करपारा कोयला खनन परियोजना हेतु आयोजित लोकसुनवाई का प्रभावित ग्रामीणों ने भारी विरोध किया। ग्रामीणों का कहना है ,कि खनन से जंगल का विनाश एवं दो जलाशय प्रभावित होंगे जिनसे 700 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई होती है। सूरजपुर जिले के भैयाथान ब्लॉक में प्रस्तावित भास्करपारा कोल परियोजना के लिए पर्यावरण स्वीकृति के लिए जन सुनवाई का आयोजन किया था ।जहा जन सुनवाई के दौरान ग्रामीणों का भारी विरोध भी नज़र आया। दरअसल भास्करपारा समेत आधा दर्जन गांव के 932 हेक्टेयर में प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड की खुली कोयला खदान प्रस्तावित है।ऐसे क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणो के द्वारा शुरू से ही इस परियोजना का विरोध किया गया , जहा कथित ग्राम सभा मे भी विवाद की स्थिति पूर्व में निर्मित हो चुकी है, जहा ग्रामीणो का आरोप है कि इस कोल परियोजना से क्षेत्र और पर्यावरण का बड़ा नुकसान होगा।जहा क्षेत्रवासियों के द्वारा पर्यावरण और क्षेत्र के विकास में अवरोध पैदा करने वाले परियोजना को नही खुलने देने के लिए आंदोलन से लेकर हर तरह के प्रयास करते नजर आ रहे है।

ऐसे में जनसुनवाई के दौरान हज़ारों की तादाद में ग्रामीणों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। जहा प्रदर्शनकारियों का कहना है की इस परियोजना के कारण भारी संख्या में वृक्षों की कटाई होगी, जल स्रोत का संकट गहमाएगा, सैकड़ों गांव सिंचाई के लिए प्रभावित होंगे वही प्रशासनिक दबाव के बीच जन सुनवाई चलता रहा। जहां कोल परियोजना के डायरेक्टर ने बताया कि जनसुनवाई में ग्रामीणो की समस्याओं को सुना गया है जिनका निराकरण कर दिया जाएगा,बहरहाल ऐसी परियोजना खुलने के पहले कम्पनी लोक लुभावन वादे तो ज़रूर करती है पर वह धरातल पर कितना सार्थक है यह किसी से नहीं छिपा।”


सरपँच ( ग्राम के सभी लोगों की सहमति से ग्राम सभा मे प्रस्ताव पारित किया गया है कि यहां खदान न खुले खदान खुलने से इस इलाके में प्रदूषण बढ़ेगा जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
सुनील साहू, बीडीसी इस जनसुनवाई का विरोध सभी प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण कर रहे हैं जनसुनवाई के लिए स्थल का चयन भी ऐसी ऐसी जगह किया जहां प्रभावित लोग न पहुंच सकें, हमने आपत्ति जताई है कि खदान खुलने से दो बांध व सैकड़ों डबरियों का अस्तित्व ख़तरे में आ जायेगा जिससे क्षेत्र के पांच हजार किसान प्रभावित होंगे,,प्रशासन चाहे जितनी दबाव बनाए हम अपने हक के लिए लड़ेंगे और यहाँ खदान नहीँ खुलने देंगे”।