वोटिंग केंद्रों पर ना पानी, ना छांव – प्रशासन ने लोकतंत्र की ऐसी तैसी कर दी! 13.70% मतदान में जनता बेहाल, अफसर मस्ती में, अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ा लोकतंत्र!
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सूरजपुर : 20 फरवरी 2024 – छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया तो पूरी हो गई, मगर सवाल यह उठता है – यह चुनाव था या प्रशासन का किया-धरा तमाशा? मतदाताओं ने लोकतंत्र का पर्व मनाने के लिए बूथों तक का सफर तो तय किया, मगर ना छांव मिली, ना पानी, और ना ही बैठने की सुविधा! धूप में तपते मतदाताओं को प्रशासन ने उनकी किस्मत के भरोसे छोड़ दिया । क्या यह लोकतंत्र का मजाक नहीं?
सुबह से अव्यवस्थाओं का दौर, मतदाता परेशान
सुबह 9 बजे तक 13.70% मतदान दर्ज किया गया, लेकिन तस्वीर जितनी अच्छी लगती है, हकीकत उतनी ही कड़वी थी।
विकासखंडवार मतदान प्रतिशत:
रामानुजनगर –
(पुरुष: 13.81%, ) (महिला: 12.25%, ) कुल: 13.03%
प्रेमनगर –
(पुरुष: 15.74%, ) (महिला: 0%, कुल: 14.31%)
कुल औसत – पुरुष: 14.46%, महिला: 12.96%,
अन्य: 0%, कुल: 13.70%
सुविधाएं थीं या मजाक?
बूथों पर व्यवस्था देखकर मतदाताओं को लगा जैसे प्रशासन ने “आओ, वोट डालो और जल्दी निकलो” की नीति अपना ली थी। न तो पानी था, न शेड, और न ही बैठने का इंतजाम। बुजुर्गों और महिलाओं को भी घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ा। कुछ बूथों पर नाम न होने की शिकायतें आईं, लेकिन शिकायत सुनने वाला कोई नहीं था।
प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल?
जब इस मुद्दे पर अधिकारियों से सवाल किया गया, तो हमेशा की तरह “संसाधनों की कमी” का पुराना बहाना सामने आया। सवाल यह उठता है कि जब चुनाव प्रचार के लिए लाखों-करोड़ों का बजट होता है, तो मतदान केंद्रों पर बुनियादी सुविधाओं के लिए फंड कहां चला जाता है?
राजनीतिक पारा चढ़ा, आयोग तक पहुंचेगी शिकायत?
सूत्रों की मानें तो सूरजपुर की अव्यवस्थाओं पर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। कुछ नेताओं ने इस मुद्दे को तूल देने की तैयारी कर ली है और खबर यह भी है कि मामला चुनाव आयोग तक पहुंच सकता है।
लोकतंत्र की साख पर सवाल!
इस तरह के हालातों को देखकर एक सवाल तो जरूर उठता है – क्या हम सिर्फ वोट डालने के लिए बने हैं, या हमारे अधिकारों की भी कोई कीमत है? प्रशासन की यह लापरवाही लोकतंत्र के चेहरे पर एक करारा तमाचा है, और अगर समय रहते इसे नहीं सुधारा गया, तो भविष्य में मतदाता अपने अधिकारों से खुद ही दूर हो जाएंगे।