जंगल जल रहा, खेत उजड़ रहा… सूरजपुर में हाथियों का आतंक, गांवों में हाहाकार!
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AMIR PATHAN
सूरजपुर। जंगल सुलग रहा है, खेत उजड़ रहे हैं और गांवों में अफरा-तफरी मची है। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के पंडारी और टूकु डांड इलाके में जंगली हाथियों ने ऐसा तांडव मचाया कि पूरा इलाका दहशत में आ गया है।
गर्मी बढ़ी तो जंगलों में चारा-पानी की किल्लत शुरू हो गई। ऊपर से जंगलों में लग रही आग ने हालात को और बेकाबू कर दिया। अब जिन जंगलों को हाथियों का घर कहा जाता था, वहां धुआं है, राख है और सूखी ज़मीन। मजबूरी में हाथी गांवों का रुख कर रहे हैं – और जब ये आते हैं तो साथ में तबाही लेकर आते हैं।
गेंहू की फसल चट – कई एकड़ खेतों पर भारी कहर!
बीती रात पंडारी और टूकु डांड गांवों के खेतों में दर्जन भर हाथियों का दल घुस आया। ग्रामीणों ने बताया कि रातभर खेतों में धमाचौकड़ी मची रही। जहां-जहां हाथियों के पांव पड़े, वहां की फसल चकनाचूर हो गई। महीनों की मेहनत कुछ घंटों में मिट्टी में मिल गई।
“हम तो रातभर डरे बैठे थे। कोई निकल भी नहीं सकता था। जान का डर अलग, खेत का नुकसान अलग”, – ये कहना है किसान रमेश साहू का, जिनके दो एकड़ खेत में हाथियों ने तबाही मचाई है।
‘हाथी मित्र’ रातभर पहरा दे रहे, पर संकट टला नहीं
वन विभाग की ओर से तैनात ‘हाथी मित्र’ दल के लोग लगातार गश्त कर रहे हैं, लेकिन हाथी हैं कि मानते नहीं। हर रात गांवों की ओर बढ़ते कदम अब चिंता का विषय बन चुके हैं। लोग रातभर जागकर खेतों की रखवाली कर रहे हैं, लेकिन डर तो हर किसी के मन में समाया है – कौन सी रात हाथियों का दल उनके दरवाजे पर दस्तक दे दे!
प्रशासन सिर्फ आंकलन में उलझा है, राहत कब मिलेगी?
वन विभाग की टीम नुकसान का आंकलन करने में लगी है। दावा किया जा रहा है कि हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ने की कोशिशें जारी हैं। लेकिन सवाल ये है – जब जंगल ही जल रहा है, तो हाथी कहां जाएं? और जब हाथी गांव आएंगे, तो प्रशासन कितनी देर तक मूकदर्शक बना रहेगा?
अंदर की बात:
सूत्र बताते हैं कि जंगलों में लगी आग को लेकर वन विभाग की लापरवाही भी सवालों के घेरे में है। अगर समय रहते आग पर काबू पाया जाता, तो हाथी आज गांवों की ओर नहीं आते। लेकिन अफसर फाइलों में व्यस्त हैं, और जमीनी हकीकत कुछ और ही कहती है।
अब सवाल उठता है:
- क्या प्रशासन इस संकट को गंभीरता से ले रहा है?
- क्या हाथियों को जंगलों में वापस लौटाया जा सकेगा?
- और सबसे बड़ा सवाल – कब तक ग्रामीण ऐसे ही रातें जागकर काटेंगे?
सूरजपुर के गांवों में इस वक्त सन्नाटा है, लेकिन ये सन्नाटा तूफान से पहले की खामोशी भी हो सकती है। जब तक हाथियों का रास्ता रोका नहीं जाएगा, तब तक खेत उजड़ते रहेंगे और गांव दहशत में जीते रहेंगे।