“सूरजपुर में कोयले की काली सल्तनत! दिन में SECL का राज, रात में तस्करों की सरकार – कोई धुआं नहीं, फिर भी जल रहा है सूरजपुर! जमीं के नीचे कोयला, ऊपर लाशों की गिनती… रात काली है, लेकिन सौदे सफेद हैं!”
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AMIR PATHAN
विश्रामपुर: सूरजपुर जिले की कोयला खदानें सिर्फ काले सोने का भंडार नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और अपराध की अंधेरी दुनिया बन चुकी हैं। एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) की कोयला खदानों में दिन-दहाड़े तस्करी हो रही है, और यह कोई छोटा-मोटा खेल नहीं, बल्कि करोड़ों का गोरखधंधा है। दिलचस्प यह है कि जिस इलाके में एसईसीएल को अवॉर्ड मिल चुके हैं, उसी इलाके में कोयला तस्करी का खेल भी शिखर पर है।
कोयला तस्करी: कौन है असली जिम्मेदार?
विश्रामपुर क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक कोयला खदानें हैं। एसईसीएल ने चोरी रोकने के लिए त्रिपुरा राइफल्स जैसी फोर्स पर मोटा पैसा बहाया, लेकिन नतीजा? कोयला माफिया बेखौफ हैं, तस्करी चरम पर है और प्रशासन की आंखें बंद हैं।
सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे गोरखधंधे में एसईसीएल के कुछ अधिकारियों और पुलिस विभाग की संलिप्तता की बातें भी सामने आ रही हैं। पुलिस विभाग का कहना है कि कोयला एसईसीएल की संपत्ति है, उसकी सुरक्षा की पहली जिम्मेदारी उन्हीं की बनती है, लेकिन एसईसीएल प्रबंधन की ओर से कभी कोई ठोस शिकायत दर्ज नहीं कराई जाती। जब भी अवैध कोयला परिवहन की सूचना मिलती है, पुलिस कार्रवाई करती है, लेकिन क्या यह कार्रवाई सिर्फ दिखावा है?

मासूमों की जिंदगी से खेल, कब्रगाह बनती खदानें
कोयला माफिया का सबसे बड़ा हथियार हैं गांव के मासूम लोग, जिनका इस्तेमाल कोयला चोरी में किया जाता है। कुछ रुपये देकर उन्हें खदानों में झोंक दिया जाता है, जहां कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन यह खेल फिर भी रुकने का नाम नहीं ले रहा। सवाल उठता है कि आखिर इस खतरनाक खेल को कौन चला रहा है? कौन इसके पीछे है?
सरकार को करोड़ों का चूना, अपराधियों को खुली छूट!
एक तरफ सरकार को हर दिन करोड़ों का नुकसान हो रहा है, तो दूसरी ओर पुलिस और एसईसीएल के अधिकारियों के बीच दोषारोपण का खेल जारी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पूरा मामला मिलीभगत का है। अगर प्रशासन ईमानदारी से कार्रवाई करे, तो कोयला माफिया का यह खेल कुछ ही दिनों में खत्म हो सकता है। लेकिन जब तक सिस्टम खुद ही तस्करी का हिस्सा बना रहेगा, तब तक यह खेल यूं ही चलता रहेगा।
नरेश राजवाड़े (स्थानीय निवासी): “एसईसीएल के विश्रामपुर क्षेत्र में आमगांव खदान, खेतकी खदान और रेहर परियोजना से खुलेआम कोयला चोरी हो रही है। इसे रोकने के लिए एसईसीएल ने त्रिपुरा राइफल्स को भारी रकम देकर तैनात किया, लेकिन चोरी जारी है। यह स्पष्ट करता है कि सुरक्षा बल, एसईसीएल अधिकारी और पुलिस की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं? मैं एसईसीएल और प्रशासन से अनुरोध करता हूँ कि कोयला चोरी पर सख्त कार्रवाई करें, क्योंकि इससे दुर्घटनाएं हो रही हैं और लोगों की जान जा रही है।”
संतोष कुमार महतो (एडिशनल एसपी, सूरजपुर): “जब भी हमें अवैध कोयला परिवहन की जानकारी मिलती है, पुलिस सख्त कार्रवाई करती है। लेकिन यह एसईसीएल की संपत्ति है, उनकी भी जिम्मेदारी बनती है कि वे इस पर ध्यान दें।”
बड़ा सवाल: क्या कार्रवाई होगी या सबकुछ चलता रहेगा?
अब सवाल यह है कि क्या इस गोरखधंधे पर कोई नकेल कसेगा? क्या कोयला माफिया का यह साम्राज्य ध्वस्त होगा, या फिर कुछ दिनों के लिए खानापूर्ति होगी और फिर मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा? सूरजपुर की कोयला खदानें फिलहाल सवालों के घेरे में हैं, और यह सवाल तब तक उठते रहेंगे, जब तक सच सामने नहीं आता।