आतिशबाजी कर मिष्ठान का वितरण किया गया द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित होने पर….
1 min readSarfaraz Ahmed
मनेन्द्रगढ़
स्वतंत्र भारत के इतिहास में, पहली जनजातीय महिला एवं जनजाति समाज की गौरव श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र, भारत के सबसे बड़े संवैधानिक पद राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित होने पर आक्ज मनेन्द्रगढ़ मण्डल द्वारा स्थानीय गाँधी चौक में आतिशबाजी कर मिष्ठान का वितरण किया गया ।
द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय
द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले में 20 जून 1958 को एक आदिवासी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था, जो अपनी परंपराओं के मुताबिक, गांव और समाज के मुखिया थे।
द्रौपदी मुर्मू की शिक्षा
द्रौपदी ने अपने गृह जनपद से शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी होने के बाद एक शिक्षक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की और कुछ समय तक इस क्षेत्र में काम किया।
द्रौपदी मुर्मू का जीवन संघर्ष
द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ, जिससे उनके दो बेटे और एक बेटी हुई। बाद में उनके दोनों बेटों का निधन हो गया और पति भी छोड़कर पंचतत्व में विलीन हो गए। बच्चों और पति का साथ छूटना द्रौपदी मुर्मू के लिए कठिन दौर था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और समाज के लिए कुछ करने के लिए राजनीति में कदम रखा।
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक करियर
उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ओडिशी से भाजपा के साथ ही की। भाजपा ज्वाइन करने के बाद उन्होंने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में हिस्सा लिया और जीत दर्ज कराई। भाजपा ने मुर्मू को पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा का उपाध्यक्ष बना दिया। इसके बाद ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल की गठबंधन की सरकार में साल 2000 से 2002 कर वह वाणिज्य और परिवहन स्वतंत्र प्रभार मंत्री रहीं। साल 2002 से 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री के तौर पर काम किया। उन्होंने ओडिशा के रायगंज विधानसभा सीट से विधायकी का चुनाव भी जीता। बाद में साल 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल भी नियुक्त हुईं। वह राज्य की पहली महिला गवर्नर बनीं।
खास खबर सूरजपुर.com पर सबसे पहले हिंदी समाचार पढ़ने के लिए हमें YouTube, whatsaap , Facebook