“सरकारी दुकानों पर डाका! गरीबों के हक पर कालाबाजारियों की मार!” – पुलिस की मिलीभगत या लापरवाही?”
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सूरजपुर। जिस सरकारी अनाज पर गरीबों का हक था, वही सरकारी दुकानें कुछ बेखौफ चोरों का खेल का मैदान बन गईं। हद तो तब हो गई जब प्रशासनिक अमला मौन साधे बैठा रहा और चोर सरकारी गोदामों से मनचाहा माल उठाते रहे! सूरजपुर जिले में सिलसिलेवार चोरी की वारदातों ने पूरे महकमे की पोल खोलकर रख दी है। पुलिस की कथित सख्ती पर सवाल खड़े हो रहे हैं? क्योंकि जब तीन-तीन गांवों में सरकारी अनाज का लूटपाट जारी था? तब पेट्रोलिंग पार्टी किस गहरी निद्रा में थी? चोरी की वारदातें होती रहीं और जब जागे तो 2 लाख 51 हजार 900 रुपये की संपत्ति जब्त कर वाहवाही लूटने में जुट गए?
तीन गांव, एक ही वारदात, प्रशासनिक तंत्र की खुली पोल!
17 जनवरी 2025 की सर्द रात में ग्राम पस्ता के भुजेश प्रजापति ने थाने में सूचना दी कि उनके गांव की शासकीय उचित मूल्य दुकान का ताला टूट चुका है और 60 बोरी चावल गायब है! मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया लेकिन अभी जांच की शुरुआत भी नहीं हुई थी कि ग्राम दुर्गापुर से रामजीत मरकाम ने भी पुलिस को वही कहानी सुनाई— 64 बोरी चावल और 4 क्विंटल शक्कर गायब!
अब तक पुलिस मामले को समझ ही रही थी कि ग्राम परशुरामपुर की शासकीय सोसायटी पर भी हाथ साफ कर दिया गया। मुनफत खान नामक व्यक्ति ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि यहां से 26 क्विंटल चावल चोरी हो चुका है!
लेकिन असल सवाल यह है कि इतने बड़े पैमाने पर चोरी कैसे हो रही थी और प्रशासन क्या कर रहा था? क्या यह सिर्फ चोरी थी या सरकारी अनाज की सुनियोजित कालाबाजारी?
अगर गाड़ी पंचर न होती तो पकड़े भी न जाते!
पुलिस को बड़ी सफलता तब मिली जब ग्राम कोट में एक छोटा हाथी वाहन सड़क किनारे पंचर हालत में खड़ा मिला। उसमें चावल की बोरियां भरी हुई थीं। ग्रामीणों से पूछताछ करने पर पता चला कि गाड़ी से तीन लोग उतरकर भाग गए।
पुलिस ने वाहन मालिक से ड्राइवर की जानकारी निकाली, जिसका नाम राज सिंह उर्फ छोटू निकला। जब पुलिस ने उसे दबोचा और कड़ाई से पूछताछ की तो पूरा गिरोह बेनकाब हो गया!
चोरों की खुल गई पोल, पुलिस ने 5 को धर दबोचा!
राज सिंह ने उगला कि उसने अपने साथियों मोहित सिंह, मनबहादूर बसोर, कमलभान सोनवानी और एक अन्य के साथ मिलकर पस्ता, दुर्गापुर और परशुरामपुर की सरकारी दुकानों से चावल और शक्कर उड़ाया और इसे सूरजपुर के चिटकाहीपारा मानपुर निवासी विमलेश साहू को बेच दिया।
पुलिस ने इस सूचना पर ताबड़तोड़ दबिश दी और सभी पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
26 क्विंटल चावल (कीमत करीब 40,000 रुपये)नकदी 11,900 रुपये
एक लोहे का सब्बल (चोरी के लिए इस्तेमाल किया गया)छोटा हाथी मालवाहक वाहन (कीमत लगभग 2 लाख रुपये, वाहन नंबर: CG 29 AC 4366)
गिरफ्तार आरोपी:
1. राज सिंह उर्फ छोटू (26 वर्ष, निवासी पोड़ी सुरता, हाल मुकाम तुरियापारा मानपुर)
2. मोहित सिंह राजपूत (19 वर्ष, निवासी तुरियापारा मानपुर)
3. मनबहादूर बसोर (25 वर्ष, निवासी तुरियापारा मानपुर)
4. कमलभान सोनवानी (26 वर्ष, निवासी शिवप्रसादनगर, चौकी बसदेई)
5. विमलेश साहू (32 वर्ष, निवासी चिटकाहीपारा मानपुर)
बड़ा सवाल: पुलिस को पहले से खबर थी या सब नाटक?
अब बड़ा सवाल यह है कि अगर यह चोरी पहली बार हुई थी, तो पुलिस ने इतनी तेजी से आरोपियों तक कैसे पहुंच बनाई? क्या यह किसी बड़े खेल का हिस्सा था, जहां सरकारी दुकान से अनाज चोरी करवाकर किसी बड़े मगरमच्छ तक पहुंचाया जाता था?
क्या यह महज संयोग था कि गाड़ी पंचर हो गई और पुलिस को सुराग मिल गया? या फिर पुलिस को पहले से सब पता था और जब मामला तूल पकड़ने लगा, तब अचानक कार्रवाई कर वाहवाही लूटने के लिए 5 छोटे अपराधियों को पकड़ लिया गया?
जनता सवाल पूछ रही, जवाब कौन देगा?
इस घटना ने सरकार की गरीब कल्याण योजनाओं पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर गरीबों के लिए आने वाला राशन ही चोरी हो जाएगा और उसे खुले बाजार में बेचा जाएगा, तो फिर गरीबों का क्या होगा?
क्या प्रशासन इस पर कोई ठोस कदम उठाएगा या फिर छोटे अपराधियों को पकड़कर अपनी पीठ थपथपा लेगा?
अब देखना यह है कि यह मामला आगे और कितने नए राज खोलेगा, या फिर हमेशा की तरह फाइलों में दफन हो जाएगा!