धान बर्बादी का संकट: अंकुरित हो चुका धान अब बर्बादी की कगार पर,,प्रबंधन की लापरवाही बनी वजह, सुर्खियों में संग्रहण केंद्र देवनगर..
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सूरजपुर। जिले में धान खरीदी का कार्य अब अंतिम चरण में है। 31 जनवरी तक समितियों में धान खरीदी की प्रक्रिया जारी रहेगी। इस दौरान समितियों से धान का उठाव कर संग्रहण केंद्रों में जमा किया जा रहा है। लेकिन संग्रहण केंद्रों में व्यवस्था की खामियां और लापरवाही साफ नजर आ रही है। इसका नतीजा यह है कि बड़ी मात्रा में धान बर्बाद हो रहा है।
दरअसल, सूरजपुर जिले के देवनगर संग्रहण केंद्र में करीब 17 समितियों से धान उठाकर जमा किया जा रहा है। इस केंद्र में धान संग्रहण के लिए 185 स्टेक बनाए गए हैं। हर स्टेक में लगभग 3 हजार बोरी धान रखा जा रहा है। लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते केंद्र में संग्रहित धान में नमी आ गई है। इसके कारण 10 से 12 स्टेक में रखा धान अंकुरित हो चुका है।

बारिश बनी समस्या, तिरपाल से नहीं मिली राहत जानकारी के अनुसार, बीते दिनों हुई बारिश के दौरान संग्रहण केंद्र में रखा धान भीग गया। बारिश के बाद इसे तिरपाल से ढक दिया गया, लेकिन उचित प्रबंधन के अभाव में धान में नमी बनी रही। नमी के कारण धान अंकुरित हो गया, जिससे किसानों की मेहनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
संग्रहण प्रभारी का गैर-जिम्मेदाराना रवैया… इस मामले में जब संग्रहण प्रभारी बलराम सिंह से बात की गई, तो उन्होंने गैर-जिम्मेदाराना बयान दिया। उनका कहना था कि उन्हें धान के अंकुरित होने की जानकारी नहीं थी। उन्होंने यह भी माना कि उन्होंने उच्च अधिकारियों को इस समस्या की जानकारी नहीं दी है। यह मामला उन्हें छोटा लगा, जिससे उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
विपरण अधिकारी भी मामले से अनजान इस संबंध में जिले के विपरण अधिकारी बीएस टेकाम से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन वे जिले से बाहर होने का हवाला देकर प्रतिक्रिया देने से बचते नजर आए। जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की इस अनदेखी के कारण संग्रहण केंद्र में रखे अन्य स्टेक में भी धान के अंकुरित होने का खतरा बढ़ गया है।
बड़ी मात्रा में नुकसान की संभावना. . .. अगर समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो संग्रहण केंद्र में अन्य बोरियों में भी अंकुरण की समस्या हो सकती है। इससे बड़ी मात्रा में धान बर्बाद होगा। जिले के किसानों ने प्रशासन से इस पर त्वरित कार्रवाई करने की मांग की है, ताकि धान की बर्बादी को रोका जा सके।
प्रशासन की लापरवाही पर उठ रहे सवाल इस घटना ने प्रशासन की कार्यशैली और जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिले के किसान और जनप्रतिनिधि इस मामले को गंभीरता से लेने और दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। वहीं, सरकार की धान खरीदी योजना पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
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