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16th March 2025

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सूरजपुर जिला जेल में महाकुंभ स्नान: बंदियों ने गंगा जल से किया पावन आचमन, प्रशासन का जताया आभार!

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सूरजपुर । सनातन संस्कृति में महाकुंभ का विशेष महत्व है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और आस्था का महासंगम है। इसी पावन परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सूरजपुर जिला जेल में एक ऐतिहासिक पहल की गई। प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ पर्व के अवसर पर जेल प्रशासन ने बंदियों के लिए सामूहिक पवित्र स्नान का आयोजन किया, जिसमें 347 कैदियों ने श्रद्धा और आस्था के साथ भाग लिया।

संगम जल से किया पवित्र स्नान

इस अनूठे आयोजन के लिए प्रयागराज के पावन संगम से विशेष रूप से गंगाजल मंगवाया गया, जिसे जेल परिसर में बनाए गए विशेष स्नान कुंड में अर्पित किया गया। बंदियों ने पूरे विधि-विधान और मंत्रोच्चार के साथ इस पवित्र गंगाजल से स्नान किया, जिससे उनके चेहरों पर भक्ति, शांति और संतोष की झलक स्पष्ट दिखाई दी।

आस्था और आत्मशुद्धि का क्षण

महाकुंभ के इस प्रतीकात्मक आयोजन को लेकर जेल में बंद कैदियों में खासा उत्साह देखा गया। स्नान के दौरान कैदियों ने भगवान का स्मरण करते हुए आत्मशुद्धि की भावना से इस पावन जल को अपने मस्तक पर धारण किया। कई बंदियों ने इसे अपने पुनर्जन्म का क्षण बताया, जबकि कुछ ने इसे आत्मिक शांति का सबसे बड़ा अवसर करार दिया।

जेल प्रशासन की अनूठी पहल

इस आयोजन का श्रेय पूरी तरह जेल प्रशासन को जाता है, जिसने न केवल गंगाजल की व्यवस्था की बल्कि इसके लिए जेल परिसर में एक विशेष स्नान क्षेत्र भी तैयार कराया। प्रशासन ने इस आयोजन को पूरी धार्मिक मर्यादा और पवित्रता के साथ संपन्न कराया, ताकि जेल में बंद हर बंदी इस पुण्य लाभ से वंचित न रहे।

कैदियों ने जताया आभार

स्नान के बाद कई बंदियों ने जेल प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस पहल ने उन्हें आत्मशुद्धि का एक पवन अवसर प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ का पुण्य तो केवल भाग्यशाली लोगों को मिलता है, लेकिन जेल में रहकर भी इस आयोजन में शामिल होना उनके लिए अविस्मरणीय अनुभव रहा।

आध्यात्मिक पुनर्जागरण का प्रतीक

इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि आध्यात्मिकता की रोशनी से कोई भी अछूता नहीं रह सकता, चाहे वह समाज के किसी भी वर्ग से क्यों न हो। जेल की चारदीवारी के भीतर इस तरह का आयोजन यह संदेश देता है कि धार्मिक आस्था और आत्मशुद्धि का अधिकार सभी को समान रूप से प्राप्त है।

निश्चित ही, सूरजपुर जिला जेल का यह आयोजन आने वाले समय में एक मिसाल बनेगा और अन्य स्थानों पर भी ऐसी पहल को प्रेरित करेगा।

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