सूरजपुर में बिजली बनकर बरसी आफ़त, दो जगहों पर भड़की आग — चंद दमकलकर्मियों ने जान हथेली पर रख काबू पाया, बड़ी तबाही टली!
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सूरजपुर —गर्मी का मौसम, आसमान में गरजते बादल, और धरती पर गिरी आफ़त की बिजली… सूरजपुर में शुक्रवार की शाम दो जगहों पर अचानक आग भड़क उठी। एक तरफ खेत-खलिहान जला, तो दूसरी तरफ नगर के वार्ड में मची भगदड़। लेकिन हैरानी की बात ये नहीं है… हैरानी की बात ये है कि सूरजपुर के गिने-चुने दमकलकर्मी, जो चाय की प्याली तक चैन से नहीं पी सकते, वो ही पूरे जिले की आग बुझाने का जिम्मा उठाए हुए हैं—और हर बार की तरह इस बार भी जान हथेली पर रखकर कामयाबी हासिल कर ली!
पहली आगजनी की घटना ग्राम शिवपुर, रामानुजनगर थाना क्षेत्र में शाम 7:08 बजे हुई, जब रूप देव सिंह के खलिहान में अचानक आकाशीय बिजली आकर गिरी और देखते ही देखते सूखे पुआल ने आग पकड़ ली। गांव वाले दौड़ते हुए बाहर निकले, लेकिन तब तक लपटें तेज हो चुकी थीं। पुलिस कंट्रोल सूरजपुर को जैसे ही खबर मिली, फायर ब्रिगेड के सूरमा मौके के लिए रवाना कर दिए गए। खाकी वर्दी और लाल गाड़ी में सवार दमकलकर्मी अपनी जान की परवाह किए बिना लपटों में कूद पड़े और कुछ ही देर में आग पर काबू पा लिया। शुक्र है कि इस जगह कोई जनहानि नहीं हुई।
इसी अफरा-तफरी के बीच दूसरी बड़ी खबर रात 8:11 बजे आई—सीधे सूरजपुर शहर के वार्ड क्रमांक 13 से, जहां एक मोहल्ले में अज्ञात करण से अचानक आग बंस में जा लगी ,अफरा-तफरी का माहौल था। लेकिन… दमकल टीम अभी पहली आग से ही लौटी भी नहीं थी कि दूसरी जगह पहुंचने के लिए फिर गाड़ी दनदनाती हुई निकली।
कहने को सूरजपुर एक जिला है, लेकिन इसके पास दमकलकर्मियों की गिनती करें तो दो हाथों की उंगलियां भी ज़्यादा लगेंगी। यही छोटी सी टीम पूरे जिले में जब-जब आग भड़कती है, तब-तब फरिश्ता बनकर उतरती है। गर्मी हो या रात का सन्नाटा, ये टीम अलर्ट रहती है—और आज की दोनों घटनाएं इसका सबूत हैं।
फायर ब्रिगेड ने दोनों ही जगहों पर बिना किसी देरी के पहुंचकर आग पर काबू पाया, वरना ये आग कब रिहायशी इलाकों में पहुंच जाती और कौन-सी तबाही ला देती, कोई नहीं जानता।
अब सवाल उठता है कि क्या इतने बड़े जिले के लिए सिर्फ एक-दो दमकल गाड़ियों और चंद बहादुरों का भरोसा काफी है? प्रशासन को इस पर गंभीरता से सोचना होगा। सूरजपुर जैसे इलाकों में, जहां हर तीसरे दिन अज्ञात कारण से आग लग जाती है या कोई खलिहान जलता है, वहां सुरक्षा के इंतज़ाम अब ‘भगवान भरोसे’ नहीं चल सकते।
फिलहाल राहत की खबर ये है कि दोनों ही घटनाओं में कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन ये अलार्म है—एक चेतावनी कि अब और इंतज़ार नहीं, संसाधनों में इज़ाफा होना ही चाहिए।