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19th November 2024

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घायल चीतल हिरण, को गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा

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घायल चीतल हिरण, को गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा

15 जुलाई 2024 : सोनहत के कटगोड़ी में एक घायल चीतल (हिरण) पाया गया। जहा स्थानीय लोगों ने चीतल को देखा और तुरंत वन विभाग को सूचना दी। चीतल गंभीर रूप से घायल था। उसके शरीर पर कई घाव थे। ऐसा लग रहा था कि उसे किसी जंगली जानवर ने हमला किया था। चीतल की हालत बहुत खराब थी और उसे तत्काल चिकित्सा की जरूरत थी।

वन विभाग की प्रतिक्रिया

सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। उन्होंने तुरंत चीतल को अपने कब्जे में लिया। चीतल को पहले प्राथमिक उपचार दिया गया। फिर उसे सोनहत वन विभाग कार्यालय ले जाया गया।

उपचार और देखभाल

सोनहत वन विभाग कार्यालय में चीतल का इलाज किया गया। वहां के डॉक्टरों ने उसके घावों का निरीक्षण किया। उन्हें साफ किया और दवाइयाँ दी। चीतल को आराम करने दिया गया। वन विभाग की टीम ने उसकी देखभाल की।

गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा गया

चीतल के उपचार के बाद, उसे गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ा गया। यह उद्यान चीतल के लिए सुरक्षित है। वहां उसका स्वाभाविक निवास स्थान है।

स्थानीय लोगों की भूमिका

कटगोड़ी के स्थानीय लोगों ने चीतल को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी जागरूकता और त्वरित सूचना से चीतल की जान बच सकी। वन विभाग ने भी उनके सहयोग की सराहना की।

चीतल की स्थिति अब

गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान में चीतल अब सुरक्षित है। वह धीरे-धीरे ठीक हो रहा है। वन विभाग की टीम उस पर नजर रख रही है। चीतल को प्राकृतिक वातावरण में छोड़ना उसकी तेजी से रिकवरी में मदद करेगा।

वन्यजीव संरक्षण का महत्व

इस घटना ने वन्यजीव संरक्षण के महत्व को फिर से उजागर किया है। वन्यजीव हमारे पर्यावरण का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। हमें उनकी रक्षा करनी चाहिए।

सोनहत क्षेत्र का वन्यजीव

सोनहत क्षेत्र वन्यजीवों के लिए जाना जाता है। यहाँ कई प्रकार के वन्यजीव पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में वन विभाग की सक्रियता और स्थानीय लोगों की जागरूकता ने कई वन्यजीवों की जान बचाई है।

वन विभाग की अपील – वन विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे वन्यजीवों के प्रति संवेदनशील रहें। अगर वे किसी घायल या असहाय वन्यजीव को देखें, तो तुरंत वन विभाग को सूचित करें।

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