मंच पर चढ़ा फर्जी अफसर! सरकारी गाड़ी, झूठी स्कीम और एक लाख की ठगी…
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AMIR PATHAN
सूरजपुर (छत्तीसगढ़)। यह कोई फिल्मी सीन नहीं, बल्कि ज़मीनी सच्चाई है… और इतनी करारी है कि किसी का भी दिल दहल जाए। सरकार की योजनाओं को ढाल बनाकर एक फर्जी अफसर ने मोहरसोप पंचायत भवन को ठगी का अड्डा बना दिया। सरकारी गाड़ी, रजिस्ट्रेशन फॉर्म, फर्जी दस्तावेज़ और नेताओं जैसी जुबान लेकर आया था यह ठग। और गांववालों ने… आंख मूंदकर इस “साहब” के चरण छू लिए।
पर कहानी में ट्विस्ट तो तब आया जब साहब की लूट का परदा फट गया… और उसके नीचे निकला एक चालाक, शातिर ठग – जो शायद महीनों से इसी दिन का सपना बुन रहा था।
फर्जी अफसर का फुल ड्रामा – सरकारी गाड़ी, चमकदार वादा और सरपंच की छाया
दिन था 29 अप्रैल 2025। मोहरसोप गांव में एक बड़ी गाड़ी दाखिल हुई – नंबर CG 16 CS 0226। गाड़ी सरकारी लग रही थी, ड्राइवर बाबू टाइप। अंदर से उतरे एक साहब, जो खुद को श्रम विभाग का अधिकारी बता रहे थे – नाम बताया “सुमित कुमार”, पता टेगनी गिरजापुर।
उनका दावा था – “प्रधानमंत्री आवास योजना और पशुधन विभाग से भारी-भरकम सब्सिडी दिलवाएंगे – 1 लाख से लेकर 1.5 लाख तक सीधा बैंक खाते में!”
गांव के कुछ पंच-सरपंच भी उनकी बातों से इतने अभिभूत हुए कि खुद उनके प्रचारक बन बैठे। पंचायत भवन को बना दिया गया ‘रजिस्ट्रेशन सेंटर’ और गांववालों को कहा गया – जल्दी आओ, फार्म भरो, ₹500 से ₹1000 दो और सपना साकार करो!
ठगी का महापर्व – 107 फार्म, ₹1.07 लाख और सपनों की लूट
गांव में भीड़ उमड़ी जैसे मुफ्त का राशन बंट रहा हो। महिलाएं, बुज़ुर्ग, नौजवान – सब लाइन में लग गए। साहब ने सबके सामने फार्म भरे, पैसा लिया और वादा किया कि जल्द ही सब्सिडी आ जाएगी।
पर असली सब्सिडी तो ठग के चेहरे पर आई थी – जब उसकी जेब में ₹1,07,000 की रकम पहुंच गई।
जागे कुछ ‘चिंतनशील’ ग्रामीण – उठाया फोन, हिला दी हकीकत
गांव में कुछ लोग ऐसे भी थे, जिनके कान तीर की तरह खड़े हो गए। उन्होंने सीधे जिला श्रम अधिकारी रमेश साहू और पशुधन विभाग के डॉ. जी. के. को फोन मिलाया। जवाब सुनकर उनके पसीने छूट गए –
“ऐसी कोई योजना नहीं है, और न ही हमने कोई अधिकारी भेजा है!”
बस फिर क्या – गांव में बवाल मच गया।
भागने की कोशिश में पकड़ा गया ठग, पुलिस ने दबोचा – लेकिन सवाल बाकी हैं!
पंचायत भवन में अफरा-तफरी मची। सरपंच प्रतिनिधि प्रेमलाल विश्वकर्मा और सहायक वृजेश यादव ने मौके पर पहुंचकर आरोपी को घेरा। पूछताछ शुरू हुई तो साहब घबरा गए, चुप्पी मार ली, फिर मौका देखकर भागने लगे।
लेकिन गांववाले अब जाग चुके थे – उन्होंने फर्जी अफसर को धर दबोचा और मोहरसोप पुलिस चौकी को सूचना दी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। प्रारंभिक जांच शुरू हो चुकी है और पुलिस का दावा है कि मामले की निष्पक्ष जांच होगी और कठोर कार्रवाई की जाएगी।
सरपंच की चुप्पी, पंचों की भूमिका – क्या खेल सिर्फ एक आदमी का था?
अब बड़ा सवाल – जब फर्जी अधिकारी गांव में खुल्लमखुल्ला पैसा वसूल रहा था, तब पंचायत क्या कर रही थी? क्या ये सिर्फ नादानी थी या कहीं कोई सांठगांठ? गांववालों की मांग है कि सरपंच और पंचों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए, क्योंकि उनके बिना यह नाटक नहीं चल सकता था।
प्रशासन सोया था या सोने का बहाना कर रहा था?
यह घटना बताती है कि योजनाओं को लेकर गांववालों में कितनी कम जानकारी है – और इसी अंधेरे में ठगों की चांदी हो जाती है। अगर प्रशासन समय पर सही जानकारी पहुंचाता, जागरूकता फैलाता, तो शायद गांव के लोगों की गाढ़ी कमाई यूं लुट न जाती।
अपील: अब और नहीं!
छत्तीसगढ़ के हर गांव, हर पंचायत, हर घर तक हमारी ये अपील है –
“किसी भी योजना के नाम पर जब कोई पैसा मांगे – तो सीधे जिला कार्यालय, ब्लॉक कार्यालय या संबंधित विभाग में जांच कराएं। आंख मूंदकर किसी पर भरोसा न करें।”
और प्रशासन से भी गुज़ारिश – कृपया गांवों में नियमित कैंप लगाएं, हर पंचायत भवन में सूचना पट लगाए जाएं, ताकि अगली बार कोई ‘साहब’ ना बन पाए – और कोई गांववाला ‘शिकार’ न बने।