स्थानीय ईदगाह में अदा की गई ईद-उल-जुहा की नमाज,, एक दूसरे को गले लगा, दी मुबारकबाद…
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SURAJPUR
(ईद-उल- अजहा) की नमाज़ आज पढ़ी गई और आपसी भाईचारा और देश में अमनोचेन की दुआ मांगी गई जहां सब मिलजुल कर रहे और आपसी भाईचारा हमेशा बना रहे, जामा मस्जिद के इमाम मुतब्बीर आलम ने मांग दुआ जहां आज मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सुबह 8:30 बजे स्थानीय ईदगाह में बकरीद की नमाज़ अदा की तो वहीं अलग- अलग ईदगाहों में जैसे मानपुर ईदगाह , महगवां ईदगाह, नवापारा ईदगाह, में भी नमाजियों ने नमाज़ अदा की ।
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक :-
Eid-Al-Adha – इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार बकरीद यानी ईद-उल-अजहा का त्योहार ज़ुल-हिज्जा महीने के 10वें दिन मनाया जाता है। ऐसे में इस साल 17 जून 2024 के दिन बकरीद मनाई गई है। यह पर्व मुख्य रूप से हजरत इब्राहिम द्वारा अपने बेटे हजरत इस्माइल की कुर्बानी देने की इच्छा की याद में मनाया जाता है।
एक ईद उल अज़हा और दूसरा ईद उल फितर ईद उल फितर को मीठी ईद भी कहा जाता है. इसे रमजान को खत्म करते हुए मनाया जाता है. मीठी ईद के करीब 70 दिनों बाद बकरीद मनाई जाती है।वहीं मस्जिदों में नमाज अदा करने के बाद बकरे की कुर्बानी देते है।
ईद-उल-अजहा क्यों मनाई जाती है:-
कुर्बानी का मकसद अल्लाह के प्रति समर्पण और आज्ञाकारिता दिखाना है। यह पैगंबर इब्राहिम (अ.स.) की याद में मनाया जाता है, जिन्हें अल्लाह ने अपने बेटे की कुर्बानी देने का आदेश दिया था। कुर्बानी का मांस तीन भागों में बाँटा जाता है: एक भाग गरीबों को दिया जाता है, दूसरा भाग रिश्तेदारों और दोस्तों को दिया जाता है, और तीसरा भाग खुद के लिए रखा जाता है।