करोड़ों के धान उठाव का मामला: एफसीआई और नान में नहीं जमा हुआ चावल, राइस मिलर के छूटे पसीने
1 min readKorea : कोरिया जिले के अंतर्गत चितमारपारा स्थित मंगल राइस मिल में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। 31 अगस्त 2024 को इस मामले का खुलासा हुआ, जब जिला प्रशासन ने राइस मिल में छापा मारा। यहां 38,000 क्विंटल से अधिक धान का उठाव किया गया था, लेकिन एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) और नान (नगरीय खाद्य निगम) में निर्धारित मात्रा में चावल जमा नहीं किया गया। इस मामले ने प्रशासन और राइस मिलर दोनों को मुश्किल में डाल दिया है।
घटना का विवरण
मंगल राइस मिल, जो पिछले दो-तीन वर्षों से बंद है, ने 2023-24 के धान खरीदी सीजन में 38,000 क्विंटल से अधिक धान का उठाव किया। नियमों के अनुसार, इस धान से 2635 मेट्रिक टन चावल एफसीआई और नान में जमा होना चाहिए था। लेकिन, जांच के दौरान पता चला कि मिलर ने केवल 28.98 मेट्रिक टन चावल ही जमा किया है। इस बड़ी अनियमितता के कारण जिला प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की।
प्रशासन की कार्रवाई
जैसे ही प्रशासन को इस घोटाले की जानकारी मिली, तुरंत एक जांच टीम गठित की गई। टीम ने राइस मिल का भौतिक सत्यापन किया और धान व चावल की स्थिति की जांच की। जांच में पाया गया कि बड़ी मात्रा में धान गायब है और जो चावल जमा हुआ है, वह निर्धारित मात्रा से काफी कम है। इस पर राइस मिलर को नोटिस जारी किया गया और तीन दिनों में जवाब देने का आदेश दिया गया। अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है।
स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया
चितमारपारा के रहवासी इस मामले को लेकर काफी चिंतित हैं। स्थानीय नागरिक योगेश शुक्ला ने कहा, “यह स्पष्ट है कि यहां बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। राइस मिल पिछले दो-तीन वर्षों से बंद है, फिर इतनी बड़ी मात्रा में धान कैसे उठाया गया?” वहीं, राइस मिल के पास रहने वाले राजेश कुमार वर्मा ने बताया, “हमने राइस मिल में कोई गतिविधि नहीं देखी। बिजली बिल भी नॉर्मल है, जिससे पता चलता है कि मिल लंबे समय से बंद है।
प्रशासन का बयान
अपर कलेक्टर और खाद्य अधिकारी अरुण मरकाम ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा, “राइस मिल में धान और चावल की अनुपलब्धता पर नोटिस दिया गया है। अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो कार्रवाई की जाएगी।” इसके अलावा, क्षेत्र के अन्य लोगों ने भी निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि इस मामले में धान खरीदी समिति, विपणन अधिकारी, खाद्य विभाग और धान खरीदी के समय गठित की गई टीम की भी बड़ी चूक हो सकती है।
बड़े सवाल
सबसे बड़ा सवाल यह है कि 38,000 क्विंटल से अधिक धान आखिर कहां गया? अगर मिल में चावल नहीं है, तो यह धान भी गायब हो गया है। प्रशासन के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि वह इस मामले का सही समाधान निकाल सके। इस मामले ने न केवल राइस मिलर को, बल्कि प्रशासन को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।
अब देखना होगा कि जांच टीम कैसे इस मामले का हल निकालती है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है। इस घोटाले ने पूरे क्षेत्र में हलचल मचा दी है और जनता अब निष्पक्ष जांच की मांग कर रही है।
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