सूरजपुर में भाजपा का सियासी मास्टरस्ट्रोक! चंद्रमणि देवपाल पैकरा निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गईं..
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सूरजपुर। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में भाजपा ने सियासी खेल का ऐसा दांव चला कि विपक्ष तो दूर, पार्टी के भीतर की बगावत भी शांत हो गई। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए पार्टी ने चंद्रमणि देवपाल पैकरा को निर्विरोध चुन लिया, जिससे एक बार फिर साबित हो गया कि भाजपा की रणनीतिक पकड़ अब भी मजबूत है। खास बात यह रही कि जिस दिन चंद्रमणि देवपाल पैकरा को यह जिम्मेदारी मिली, उसी दिन उनका जन्मदिन भी था, जिससे उनके समर्थकों में जबरदस्त जोश देखने को मिला।
7200 वोटों से ऐतिहासिक जीत, RSS की पहली पसंद
चंद्रमणि देवपाल पैकरा ने क्षेत्र क्रमांक 12 (प्रतापपुर) से 7200 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल कर पहले ही अपने कद का अहसास करा दिया था। वे सिर्फ भाजपा की ही नहीं, बल्कि आरएसएस की भी पहली पसंद थीं। ऐसे में यह पहले से ही तय माना जा रहा था कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उन्हीं के नाम पर मुहर लगाएगा। हालांकि, भाजपा की बागी उम्मीदवार नीलिमा पैकरा ने मुकाबला दिलचस्प बनाने की कोशिश जरूर की, लेकिन अंततः पार्टी नेतृत्व ने एकजुटता दिखाते हुए बगावत को शांत कर दिया और चंद्रमणि देवपाल पैकरा को निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष बना दिया।
भाजपा का सियासी शक्ति प्रदर्शन!
इस ऐतिहासिक फैसले के बाद सूरजपुर जिले में भाजपा कार्यकर्ताओं का जोश चरम पर है। पूरे जिले में जगह-जगह जश्न मनाया गया, ढोल-नगाड़े बजे और कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाकर खुशी जाहिर की। भाजपा नेताओं का कहना है कि यह सिर्फ एक चुनावी जीत नहीं, बल्कि संगठन की ताकत और अनुशासन का परिचायक भी है।
क्या है बड़ा राजनीतिक संदेश?
इस चुनाव का संदेश साफ है—भाजपा में नेतृत्व की पकड़ मजबूत है, पार्टी किसी भी तरह की बगावत को बर्दाश्त नहीं करेगी, और सबसे बड़ी बात, संगठन के फैसले पर सभी को एकमत रहना होगा। चंद्रमणि देवपाल पैकरा की यह जीत सूरजपुर जिले की राजनीति को नए सिरे से परिभाषित कर सकती है। अब देखना यह होगा कि जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में वे कैसे अपने क्षेत्र का विकास करती हैं और पार्टी की उम्मीदों पर कितना खरा उतरती हैं।
राजनीति के बड़े खिलाड़ियों की नजरें टिकीं
भले ही यह चुनाव जिला पंचायत स्तर का हो, लेकिन इसके दूरगामी राजनीतिक प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला आने वाले विधानसभा चुनावों में भी भाजपा के लिए अहम भूमिका निभाएगा। अब सबकी निगाहें इस बात पर रहेंगी कि भाजपा इस एकजुटता को कब तक बनाए रख पाती है और विपक्ष इस रणनीतिक चाल का तोड़ कैसे निकालता है।