पीपल का पेड़ ऑक्सीजन का खजाना वन मंडल कोरिया ने किया एक नया कारनामा….
1 min readआनंदपुर नर्सरी बैकुंठ पुर वन परिक्षेत्र में 20 हजार से ज्यादा पीपल पौधे हुए तैयार…
Sarfaraz Ahmad
कोरिया ( बैकुंठपुर )
कटते जंगल दूषित पर्यावरण प्रकृति का पल बदलता मिजाज, कहीं ओलावृष्टि तो कहीं अकाल, कह सकते हैं की जिस तरह प्रकृति को अपना संतुलन बनाए रखने में बड़ी बाधाओं और विसंगतियों का सामना करना पड़ रहा है।आज से ही उसके निजात की ओर सकारात्मक अभियान नहीं छेड़ा गया तो हमारी धरा पर बड़ा जीवन संकट आएगा।आधुनिक दिनचर्या व संसाधन, उद्योग और कारखानें सभी हमारे जीवन के महत्वपूर्ण अंग बन चुके हैं।ऐसे में उन्हें छोड़ना मुश्किल नहीं नामुमकिन भी है।जिसके बाद हमारे पर्यावरण में प्राणवायु संचार व्यवस्था बड़ी चुनौती का सबब बन सकती है।आपको बता दें की ऐसे उपायों की ओर कोरिया वन मंडल की बड़ी पहल क्या है आइए जानते हैं।
सफल प्रयास,,,,,सहज प्रक्रिया नहीं होती पीपल के पौधों को तैयार करना
बैकुंठपुर वन मंडल द्वारा बैकुंठपुर वन परिक्षेत्र के आनंदपुर नर्सरी में 20 हजार पीपल के पौधों को तैयार कर अगले और 20 हजार पौधों की तैयारी की जा चुकी है।आश्चर्य करने वाली तरकीब होती है। हर पल भरपूर आक्सीजन (प्राणवायु) देने वाले पीपल वृक्ष के पौधों को तैयार करने की।जानते हैं प्रक्रिया!,,पीपल सामान्यतः प्राकृतिक प्रक्रिया के आधार पर ही तैयार होता है।उसे सहज प्रक्रिया या फिर बीज से तैयार कर पाना बहुत मुश्किल होता है।जिसका बड़ा कारण पीपल के बीज पर बनी एक परत होती है जो पीपल को सीधे बीज से तैयार करने में बड़ी बाधक होती है।ऐसे में इसे तैयार करने के लिए कोरिया वन मंडल के अधिकारियों ने एक जटिल प्रक्रिया के तहत पहले तो चिड़ियों के बीट से पीपल बीज को संग्रहित किया। उसके बाद उसे गोबर मिट्टी और खाद के साथ थरहा किया गया।जिसके बाद पनपे पीपल के छोटे पौधों को।थोड़ा परिपक्व होने तक थरहे में ही रखा गया।जिसके बाद उन पौधों को बेड पर शिफ्ट किया गया।और देखरेख करते हुए उन पौधों को जरूरी पोषक तत्व दिए गए।अब वह पौधा करीब 20 हजार से भी ज्यादा संख्या में आनंदपुर नर्सरी में स्वस्थ और तैयार है।और जिसके बाद पीपल के पौधों को और वृहद पैमाने पर तैयार करने की मुहिम को जोर दिया जा रहा है।ताकि जंगलों में इनकी उपलब्धता बड़े पैमाने पर बढ़ाई जा सके और कोरिया वन मंडल सहित कई जगहों में बड़े आक्सीजोन स्थापित किए जा सकें। साथ ही पीपल के पौधों का व्यापक स्तर पर सार्वजनिक जगहों में वृक्षारोपण कराने की कोशिश है ताकि शुद्ध वातावरण और शुद्ध आक्सीजन की उपलब्धता को बल मिल सके।
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