खाकी पर सवाल! सूरजपुर पुलिस ने ही तोड़ दिया सुप्रीम कोर्ट का आदेश?
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AMIR PATHAN
सूरजपुर पुलिस का एक कारनामा सामने आया है जो पुलिसिया लापरवाही का सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है। जिस पुलिस का काम क़ानून की रक्षा करना होता है, वही अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया है।, तो जनता किससे न्याय की उम्मीद करे?
मामला बीते 29 तारीख़ का है। सूरजपुर में एक नशा मुक्ति केंद्र में हत्या की घटना हुई थी! जिसमें 9 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, जिसमें से एक नाबालिग भी शामिल था। पुलिस ने इस गिरफ्तारी की जानकारी देते हुए न केवल प्रेस रिलीज़ जारी की, बल्कि नाबालिग के फोटो और वीडियो भी सार्वजनिक कर दिए!
अब, ज़रा सोचिए!
सुप्रीम कोर्ट के आदेश क्या कहते हैं?
कोई भी नाबालिग अगर किसी अपराध में शामिल होता है, तो उसकी पहचान उजागर नहीं की जा सकती, उसकी तस्वीर या वीडियो जारी करना तो दूर की बात है। लेकिन यहां तो सूरजपुर पुलिस ने पूरे ठाट-बाट से फोटो और वीडियो मीडिया में उछाल दिए?
“कानून का पालन करवाने वाले खुद कानून तोड़ रहे हैं!”
अब सवाल यह है कि जब आम जनता छोटी-छोटी गलती पर कानून के शिकंजे में कस दी जाती है, तो खुद पुलिस जब इतनी बड़ी गलती करती है, तो क्या उन पर भी कोई कार्रवाई होगी? या फिर खाकी वर्दी पहनते ही इंसान के लिए सारे कानून बदल जाते हैं?
“बाद में पता चला कि वो 19 साल का था!”
जब इस मामले ने तूल पकड़ा, तो पुलिस ने तुरंत सफ़ाई देनी शुरू कर दी।
गुप्त सूत्रों से खबर आई कि जिस लड़के को पुलिस नाबालिग बता रही थी, दरअसल वो 19 साल का था।
लेकिन ठहरिए!
अगर वो 19 साल का था, तो जब प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई, तब पुलिस ने उसे नाबालिग क्यों बताया?
अगर वो वाकई नाबालिग नहीं था, तो फिर पुलिस ने मीडिया में उसकी तस्वीर और वीडियो जारी करने से पहले एक बार दोबारा जांच क्यों नहीं की?
क्या पुलिस को यह एहसास नहीं था कि उनकी गलती की वजह से मीडिया पर भी सवाल उठ सकते हैं?
“पुलिस का आनंद फानन
अब इसे पुलिस की गलती कहें या खाकी का नशा, लेकिन यह पहली बार नहीं है जब पुलिस से ऐसी लापरवाही हुई हो।
पुलिस के अधिकारी अक्सर मामले को दबाने के लिए पहले गलत रिपोर्ट जारी कर देते हैं, फिर जब बवाल मचता है, तो सफ़ाई देने में लग जाते हैं।
अब असल सवाल यही है—
➡ अगर यही गलती किसी आम नागरिक ने की होती, तो क्या पुलिस उसे तुरंत गिरफ्तार कर लेती?
➡ क्या अब इस लापरवाही पर खुद सूरजपुर पुलिस के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी?
➡ या फिर एक बार फिर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
क्योंकि कानून की किताब में लिखा है— “कानून सबके लिए समान है!”
लेकिन हकीकत में “कानून सिर्फ़ आम आदमी के लिए होता है, खाकी वर्दी वालों के लिए नहीं!”
अब देखना यह है कि इस गलती के लिए पुलिस के खिलाफ कोई सख्त कदम उठाया जाता है या नहीं, या फिर हमेशा की तरह यह भी दबा दिया जाएगा!
प्रमाण पत्र – प्रेस विजप्ति


