“गुरु बना गुनहगार! प्रधान पाठक की घिनौनी करतूतों का पर्दाफाश, प्रशासन ने किया निलंबित – अब कानून के शिकंजे में जाएगी बात!”
1 min read
सूरजपुर। जिले के एक शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा के पवित्र आंगन को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। प्रधान पाठक (Head Master) मोहम्मद रऊफ के ख़िलाफ़ आठ छात्राओं ने गंभीर इल्ज़ाम लगाए हैं, जिनमें अनुचित आचरण और अनुशासनहीन व्यवहार जैसी बातें शामिल हैं। छात्राओं का कहना है कि यह सिलसिला लंबे अर्से से जारी था, लेकिन जब उन्होंने अपने दर्द को स्कूल की महिला शिक्षिकाओं और अन्य स्टाफ़ से साझा किया, तो कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
छात्राओं की शिकायत पर प्रशासन की नींद टूटी
जब विद्यालय स्तर पर छात्राओं को इंसाफ़ नहीं मिला, तो उन्होंने सूरजपुर की एसडीएम शिवानी जयसवाल से मुलाक़ात कर अपनी आपबीती बयान की। मामला जब कलेक्टर एस. जयवर्धन तक पहुंचा, तो प्रशासन ने त्वरित संज्ञान लेते हुए तत्काल एक जाँच समिति गठित करने का हुक्म दिया।
इस समिति में एसडीएम शिवानी जयसवाल, जिला शिक्षा अधिकारी भारती वर्मा और बाल संरक्षण इकाई के प्रभारी मनोज जायसवाल को शामिल किया गया।
कलेक्टर ने स्पष्ट निर्देश दिए कि इस मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जाँच की जाए तथा दोषियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की सिफ़ारिश पेश की जाए। लेकिन, शुरुआती जाँच के बावजूद कोई निर्णायक फ़ैसला नहीं लिया गया, जिससे छात्राओं और उनके परिजनों में ग़ुस्सा और मायूसी बढ़ती गई।
मीडिया की दख़ल के बाद प्रशासन की बड़ी कार्रवाई
जब इस घटना ने मीडिया की सुर्ख़ियाँ बटोरीं, तो प्रशासन हरकत में आया। आनन-फ़ानन में कलेक्टर की अध्यक्षता में एक आपातकालीन बैठक बुलाई गई। इस बैठक में जाँच समिति की प्रारंभिक रिपोर्ट पेश की गई, जिसके आधार पर प्रधान पाठक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। साथ ही, समिति ने संबंधित थाने को एफ़आईआर दर्ज करने के लिए पत्र भेजा।
ग्रामीणों और परिजनों का उबाल, पुलिस ने शुरू की तफ़्तीश
इस घटना ने न केवल शिक्षा जगत बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। स्थानीय ग्रामीण, अभिभावक और पंचायत प्रतिनिधि इस मामले को लेकर बेहद नाराज़ हैं। उनका कहना है कि यदि विद्यालय प्रशासन शुरू से ही सतर्क रहता और सही क़दम उठाता, तो मामला इतना तूल न पकड़ता।
रिपोर्ट के आधार पर आरोपी प्रधान पाठक मोहम्मद रऊफ को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. इतना ही नहीं, जांच कमेटी ने कोतवाली थाने को पत्र लिखकर आरोपी शिक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुशंसा भी कर दी!
अब यह मामला कोतवाली थाना क्षेत्र में पहुँच चुका है, जहाँ पुलिस ने शिकायत के आधार पर तफ़्तीश शुरू कर दी है। पुलिस और प्रशासन का कहना है कि जाँच पूरी तरह निष्पक्ष होगी और दोषियों को किसी भी सूरत में बख़्शा नहीं जाएगा।

शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल, बच्चों की हिफ़ाज़त पहली ज़िम्मेदारी
यह घटना महज़ एक विद्यालय या एक ज़िले की नहीं, बल्कि पूरे शैक्षणिक तंत्र के लिए एक चेतावनी है। शिक्षा के मंदिर में बच्चों की हिफ़ाज़त सर्वोपरि होनी चाहिए, लेकिन इस तरह के वाक़ये यह साबित करते हैं कि अनुशासन और नैतिकता को लेकर व्यवस्थाएँ अब भी ढीली हैं।
अब तमाम लोगों की निगाहें प्रशासन और क़ानून की आगामी कार्रवाई पर टिकी हैं। क्या दोषियों को सख़्त सज़ा मिलेगी? क्या छात्राओं को न्याय मिलेगा? क्या भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस नीति बनाई जाएगी? इन तमाम सवालों के जवाब आने वाले दिनों में सामने आएँगे।