गुरु पर घातक हमला: शिक्षा जगत हुआ शर्मसार, जंगल में छोड़कर फरार हुए हमलावर!
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SURAJPUR
प्रतापपुर | गुरु, जिसे हम विद्या का दीपक कहते हैं, जब वही अपने ही शिष्यों के समक्ष असहाय हो जाए, तो यह समाज के लिए घोर चिंतन का विषय बन जाता है। सूरजपुर जिले के प्रतापपुर थाना क्षेत्र में एक शिक्षक पर हुआ जानलेवा हमला सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि नैतिकता और कानून व्यवस्था पर गहरा आघात है। इस कांड ने समाज को झकझोर कर रख दिया है।
साजिश, षड्यंत्र और वहशीपन का खौफनाक संगम?
प्रतापपुर के सिलफिली जंगल में जो घटा, वह सिर्फ एक हमले की घटना नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश थी। जीवधन जायसवाल, जो कि एक आदरणीय शिक्षक हैं, स्कूल से अपने घर लौट रहे थे। इसी दौरान, अनिल जायसवाल और जितेंद्र जायसवाल ने मिलकर उन पर हमला बोल दिया। लोहे की रॉड, लाठी और धारदार हथियारों से लैस इन दरिंदों ने ऐसा क्रूरतम प्रहार किया कि शरीर से रक्तस्राव होने लगा, हड्डियाँ चटक गईं और जीवन-मृत्यु के बीच झूलता शरीर ज़मीन पर गिर पड़ा..?
हमलावरों ने जब देखा कि जीवधन जायसवाल अब श्वास नहीं ले रहे, तो उन्हें मरा समझकर जंगल के बीचों-बीच फेंक दिया और अंधेरे में विलीन हो गए।
रंजिश और चुनावी प्रतिशोध बना खूनी संघर्ष का कारण
सूत्रों की मानें तो इस हमले के पीछे पुरानी रंजिश और चुनावी प्रतिद्वंद्विता का ज़हर घुला था। समाज में जब सत्ता की लालसा विवेक पर हावी हो जाती है, तब परिणाम ऐसा ही भयावह होता है। यह हमला प्रतिद्वंद्विता की आग में झुलसे उन दुराचारी मानसिकताओं का परिचायक है, जिनके लिए पद और प्रतिष्ठा, मनुष्यता से अधिक महत्वपूर्ण हो चुकी है।
गंभीर हालत में शिक्षक, शिक्षकों में रोष
शिक्षक जीवधन जायसवाल को स्थानीय लोगों की मदद से अंबिकापुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों के मुताबिक, उनकी हालत नाज़ुक बनी हुई है। सिर पर गहरे घाव हैं, शरीर पर कई जगह फ्रैक्चर है और लगातार रक्तस्राव हो रहा है। चिकित्सक उन्हें बचाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन हालात चिंताजनक बने हुए हैं।
इस घिनौनी हरकत से शिक्षकों में जबरदस्त आक्रोश है। विभिन्न शिक्षक संगठनों ने दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी सजा की मांग की है।
कानून के पहरेदार अब क्या करेंगे?
घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज कर ली है। प्रतापपुर थाना प्रभारी के अनुसार, आरोपियों की तलाश में विशेष पुलिस टीम गठित की गई है, और हरसंभव कोशिश की जा रही है कि उन्हें जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए।
क्या शिक्षा जगत का पतन शुरू हो चुका है?
यह घटना केवल एक शिक्षक पर हुए हमले की कहानी नहीं, बल्कि भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा पर लगा एक कलंक है। जिस समाज में शिक्षक ही सुरक्षित नहीं, वहाँ शिक्षा का भविष्य अंधकारमय हो जाता है।
- क्या अब शिक्षक भी राजनीति और रंजिश का शिकार बनेंगे?
- क्या चुनावी प्रतिशोध का स्तर इतना गिर चुका है कि लोग हत्या तक उतर आते हैं?
- क्या समाज में अब नैतिकता और संस्कारों की कोई जगह नहीं बची?
एडिशनल एसपी संतोष महतो का बयान
इस नृशंस घटना पर एडिशनल एसपी संतोष महतो ने कहा,
“हम आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। कानून को अपने हाथ में लेने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। यह मामला संवेदनशील है और पुलिस जल्द ही आरोपियों को सलाखों के पीछे डाल देगी।”
अब निगाहें कानून पर टिकी हैं
इस हमले ने समाज में एक गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। शिक्षक, जो समाज का पथप्रदर्शक होता है, जब वही असुरक्षित हो जाए, तो यह विचारणीय स्थिति है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या यह मामला भी कानूनी प्रक्रियाओं के दलदल में फंसकर वर्षों तक चलता रहेगा, या फिर अपराधियों को जल्द ही कड़ी सजा देकर समाज में न्याय और कानून की शक्ति का संदेश दिया जाएगा।
आने वाले दिनों में इस घटना का परिणाम सिर्फ अपराधियों के भाग्य का फैसला नहीं करेगा, बल्कि यह न्याय व्यवस्था की साख का भी परीक्षण करेगा। अब समय आ गया है कि कानून के रखवाले यह साबित करें कि न्याय में विलंब भले हो, लेकिन अंधकार की जीत कभी नहीं हो सकती!