“जीत से पहले जश्न, बाद में मातम! प्रमाण पत्र बंटवारे में ऐसा घमासान कि कुर्सियां तक कांप गईं!
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सूरजपुर। राजनीति में कब क्या हो जाए, कहा नहीं जा सकता! जिला पंचायत चुनाव के नतीजे आए तो लोगों ने जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया, लेकिन प्रमाण पत्र बंटवारे के वक्त ऐसा बवाल मचा कि पूरा सभा कक्ष अखाड़े में बदल गया। नारेबाजी, हंगामा, आरोप-प्रत्यारोप और सियासी साजिशों की गूंज—सब कुछ एक साथ देखने को मिला। खासकर क्षेत्र क्रमांक 4 और 8 के नतीजों ने ऐसा सस्पेंस पैदा किया कि हर कोई शक की सुई किसी न किसी पर टिकाने लगा।
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जब प्रमाण पत्र बना “सत्ता की कुंजी”, और सत्ता के लिए भिड़ गए समर्थक!
गुरुवार यानी आज जिला पंचायत के विजयी प्रत्याशियों को प्रमाण पत्र देने के लिए सभा कक्ष में कार्यक्रम रखा गया था। माहौल शांत था, लेकिन जैसे ही क्षेत्र क्रमांक 4 का ऐलान हुआ, पूरा सिस्टम हिल गया!
विजयी प्रत्याशी किरण सिंह केराम को प्रमाण पत्र नहीं मिल रहा था, और समर्थकों का गुस्सा आसमान छूने लगा। पहले तो शांति से विरोध हुआ, फिर यह विरोध गगनभेदी नारों में बदल गया, और देखते ही देखते हाथापाई की नौबत आ गई। “धांधली हुई है!”, “हमें न्याय चाहिए!” जैसे नारे गूंजने लगे। हालात इतने बिगड़ गए कि रिटर्निंग ऑफिसर को खुद आकर मोर्चा संभालना पड़ा, और पुलिस बल को भी मुस्तैद रहना पड़ा।
आखिरकार, भारी हंगामे के बाद किरण सिंह केराम को प्रमाण पत्र थमाया गया, लेकिन तब तक इतना कुछ हो चुका था कि यह जीत भी विवादों में फंस चुकी थी। सवाल उठता है—क्या वाकई कोई साजिश थी, या फिर यह सिर्फ सत्ता की खींचतान थी?
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गिरीश गुप्ता की जीत से पहले ही बजी हार की घंटी, राजवाड़े ने रच दिया इतिहास!
सबसे बड़ा धमाका क्षेत्र क्रमांक 8 में हुआ, जहां जीत के दावेदार गिरीश गुप्ता माला पहनने की तैयारी में थे, लेकिन ऐन मौके पर अनुज कुमार राजवाड़े ने बाजी मार ली।
पूरा शहर जहां गिरीश गुप्ता की जीत के कयास लगा रहा था, वहीं नतीजों ने सबको चौंका दिया। न केवल वह हार गए, बल्कि ऐसा उलटफेर हुआ कि उनके समर्थक सदमे में आ गए। इस हार को कुछ लोगों ने “जनता का जनादेश” कहा, तो कुछ ने इसे “बड़ी सियासी साजिश? करार दिया। चर्चाएं गर्म हैं कि यह कोई राजनीतिक खेल था, जहां गिरीश गुप्ता को ऐन वक्त पर शिकस्त देने की योजना रची गई थी। सवाल यह भी उठ रहा है—क्या यह हार सच में जनता का फैसला था, या फिर कहीं पर्दे के पीछे कुछ और ही खेल चल रहा था?
जिन्हें मिला प्रमाण पत्र, लेकिन क्या ये नतीजे पत्थर की लकीर हैं?
बवाल और गहमागहमी के बीच 6 विजयी उम्मीदवारों को प्रमाण पत्र बांटे गए—
✅ क्षेत्र क्रमांक 1 – योगेश्वरी रजवाड़े। ✅ क्षेत्र क्रमांक 2 – थलेश्वरी लखन कुर्रे। ✅ क्षेत्र क्रमांक 3 – नरेंद्र यादव। ✅ क्षेत्र क्रमांक 4 – किरण सिंह केराम। ✅ क्षेत्र क्रमांक 7 – अखिलेश प्रताप सिंह। ✅ क्षेत्र क्रमांक 8 – अनुज कुमार राजवाड़े
पर अब असली सवाल यह है—क्या ये नतीजे पक्के हैं, या फिर कोर्ट-कचहरी की लड़ाई अभी बाकी है?
अब क्या होगा? विवादों की लपटें और तेज होंगी या शांत हो जाएगा मामला?
इस पूरे हंगामे के बाद सियासत में भूचाल आ गया है। कई नए सवाल खड़े हो चुके हैं—
❓ क्षेत्र क्रमांक 4 में हुए हंगामे की जांच होगी या इसे यूं ही दफना दिया जाएगा? ❓ क्षेत्र क्रमांक 8 में हुए उलटफेर पर कोई कानूनी कार्रवाई होगी या नहीं? ❓ क्या गिरीश गुप्ता की हार के पीछे कोई मास्टरमाइंड था?❓ क्या यह चुनावी नतीजे कोर्ट में चुनौती दिए जाएंगे?
जो भी हो, एक बात तय है—यह पंचायत चुनाव सिर्फ एक चुनाव नहीं रहा, बल्कि साजिशों, हंगामे और राजनीतिक उठापटक का अखाड़ा बन चुका है!