बेजुबान की मौत का जिम्मेदार कौन? प्रशासन और ट्रेनिंग सिस्टम पर सवाल..?
1 min readSURAJPUR
वाहन सीखने की ट्रेनिंग मैदान में दी जाती है या फिर भीड़ भाड़े वाले जगह पर?
जब सतर्कता पूर्वक वाहन चलाने की ट्रेनिंग देने वाले ही सतर्कता ना दिखाएं तो फिर ट्रैफिक नियम पालन का गुण किसे सीखे?
जहां मिलती है सतर्कता पूर्वक वाहन चलाने की ट्रेनिंग, उस स्कूल के ट्रेनिंग वाहन से हो जाती है ट्रेनिंग के दौरान जानवर की मौत।
बेजुबान जानवर की दर्दनाक मौत, प्रशासन और ट्रेनिंग स्कूलों पर सवाल..?
सूरजपुर : ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने से पहले परिवहन विभाग वाहन ट्रेनिंग स्कूल का प्रशिक्षण प्रमाण पत्र मांगता है, ताकि अच्छे से वाहन चलाने वाले को ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जा सके, ताकि सड़क पर दुर्घटना की आशंका कम हो सके, ट्रेनिंग दिलाने का मकसद गाड़ी चलाने से लेकर यातायात के नियमों का पालन करने तक की जानकारी ट्रेनिंग स्कूल में दी जाती है, पर सवाल यह उठता है कि जिस स्कूल में वाहन चलाने से लेकर यातायात नियमों की ट्रेनिंग दी जाती है, इसका मतलब यह है कि वहां पर स्किल वाले टीचर होते हैं जो अच्छे तरीके से वाहन चलाने की ट्रेनिंग देते हैं, और यातायात के नियमों का पाठ पढ़ाते हैं, पर यदि इस स्कूल के वाहन ट्रेनिंग देने वाले टीचर ही मैदान की जगह भीड़भाड़ वाले इलाके में वाहन चलाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं, तो फिर इससे यह प्रतीत होता है कि वह भी कितने लापरवाह है, जिनके कंधों पर प्रशिक्षण की जिम्मेदारी है वही सतर्कता को लेकर गंभीर नहीं है।
यह सवाल क्यों हो रहा है आप यह सोच रहे होंगे तो हम आपको बता दें कि यह सवाल यह इसलिए हो रहा है क्योंकि एक सूरजपुर में ट्रेनिंग स्कूल के वाहन से किसी व्यक्ति को वाहन चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा था, यह प्रशिक्षण खुले मैदान में न देकर भीड़भाड़ वाले इलाके यानी कि सूरजपुर के बस स्टैंड में दिया जा रहा था, वाहन सीखने के चक्कर में एक बेजुबान कुत्ते के बच्चे की मौत हो जाती है, पर मौत होना शायद इसलिए गंभीर नहीं है क्योंकि वह किसी आदमी का नहीं बेजुबान जानवर की मौत है, इसी वजह से हो हल्ला नहीं हुआ पर यदि किसी आदमी को नुकसान पहुंचता तो जाहिर से बात है कि बवाल बढ़ता पर, राहत की बात यह थी की ट्रेनिंग स्कूल के वाहन से बेजुबान की जान गई पर बेजुबान जानवर के मामले में भी कानून साझा का प्रावधान है पर उसे प्रधान में कोई व्यक्ति पढ़ना नहीं चाहता है, पर इस बार बेजुबानों से इसने करने वाला एक व्यक्ति ट्रेनिंग स्कूल के वहां से हुई दुर्घटना को लेकर काफी गंभीर है और वह इसकी शिकायत थाने में कर रहा है और कार्यवाही की मांग कर रहा है।
ज्ञात हो की सूरजपुर जिले के पुराने बस स्टैंड पर हाल ही में एक दर्दनाक हादसा हुआ था जहां गाड़ी चलाने वाले एक ट्रेनिंग स्कूल की गाड़ी ने सड़क पर बैठे एक बेजुबान जानवर को कुचल दिया था , जिसके बाद स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिला था वहीं लोगों का कहना है कि सड़क पर इस तरह लापरवाही से गाड़ी चलाने की अनुमति देना न केवल बेजुबान जानवरों, बल्कि पैदल चलने वालों की सुरक्षा के लिए भी खतरा है।
क्या कहते हैं कानून?:- भारत में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत किसी भी जानवर को नुकसान पहुंचाना दंडनीय अपराध है। कानून स्पष्ट रूप से कहता है कि दोषियों पर जुर्माना और जेल हो सकती है। बावजूद इसके, प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसे लापरवाह ट्रेनिंग स्कूलों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
ट्रेनिंग स्कूलों की जिम्मेदारी..
लोगों का सवाल है कि क्या बीच सड़क पर गाड़ी चलाने की ट्रेनिंग देना सही है? क्या इन स्कूलों को किसी सेपरेट जगह या ग्राउंड में गाड़ी चलाना सिखाना चाहिए? हादसे से साफ है कि सड़क पर ट्रेनिंग देना केवल जानवरों ही नहीं, बल्कि इंसानों के लिए भी खतरनाक है। देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन कब तक अपनी सुस्ती से जागता है और ऐसे लापरवाह ट्रेनिंग स्कूलों और उनके ड्राइवरों पर उचित कार्रवाई करता है या नहीं। सवाल यह भी है कि क्या बेजुबानों की जान का मूल्य समझने के लिए प्रशासन को किसी बड़ी घटना का इंतजार है, या फिर इस गंभीर मुद्दे पर ठोस कदम उठाए जाएंगे?
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