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22nd December 2024

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CG Surajpur News : मीडिल स्कूल की कमी से बैजनपाठ के बच्चे रोज 6 किमी पैदल सफर करते हैं, जंगली रास्ते में अनहोनी का डर..

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CG Surajpur News: Due to lack of middle school, children of Baijan Path travel 6 km daily, fear of untowardness in the wild path.

CG SURAJPUR News । सूरजपुर जिले के चांदनी-बिहारपुर क्षेत्र के दूरस्थ पहाड़ी और वनांचल ग्राम पंचायत बैजनपाठ और लुल्ह के बच्चे रोजाना अपने भविष्य की नींव मजबूत करने के लिए कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

इन गांवों में मीडिल स्कूल की व्यवस्था नहीं होने के कारण, 6वीं से 8वीं कक्षा तक पढ़ाई करने वाले बच्चों को हर दिन लगभग 6 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना पड़ता है। उनका यह रास्ता घने जंगल और जंगली रास्तों से होकर गुजरता है, जहां हिंसक जीव-जंतुओं का खतरा बना रहता है।यहां के बच्चों का यह संघर्ष तब और चर्चाओं में आया जब हाल ही में एक व्यक्ति ने इन बच्चों का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।

मीडिल स्कूल की कमी..!!

बैजनपाठ और लुल्ह गांवों में केवल प्राथमिक स्कूल की सुविधा है, जहां कक्षा 5वीं तक की पढ़ाई होती है। इसके बाद की पढ़ाई के लिए बच्चों को भुण्डा और खोहिर स्थित शासकीय माध्यमिक शाला जाना पड़ता है। इन स्कूलों की दूरी लगभग 6 किलोमीटर है और बच्चों को वहां तक पहुंचने के लिए जंगली और सुनसान रास्तों से गुजरना पड़ता है।

अनहोनी की आशंका..?

घना जंगल, ऊंची-नीची पहाड़ियों और बहते नदी-नालों से भरा क्षेत्र है, जिससे होकर इन बच्चों को रोज स्कूल जाना पड़ता है। ऐसे खतरनाक रास्तों से गुजरते समय जंगली जानवरों के मिलने का डर बना रहता है। इसके कारण परिजन हमेशा चिंतित रहते हैं कि कहीं उनके बच्चों के साथ कोई अनहोनी न हो जाए। जब तक बच्चे स्कूल से घर सही सलामत वापस नहीं आ जाते, परिजनों की चिंता बनी रहती है।

लंबे समय से अधूरी मांग , गांव के सरपंच, फूलसाय पण्डो, ने बताया कि पिछले 10 सालों से गांव में मीडिल स्कूल की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने इस समस्या के समाधान के लिए जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और शासन को कई बार पत्र भेजा है, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।गांव वालों ने पण्डोपारा बैजनपाठ में आंगनबाड़ी केंद्र के साथ मीडिल स्कूल खोलने की मांग की थी। इसके बावजूद, इस दिशा में अभी तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है।

बच्चों की सुरक्षा और समय की दिक्कतें , स्कूल की लंबी दूरी और रास्ते की कठिनाइयों के कारण बच्चों को जल्दी घर से निकलना पड़ता है, लेकिन स्कूल की छुट्टी देर से होती है। ऐसे में बच्चे अंधेरा होने तक घर नहीं पहुंच पाते, जिससे उनकी सुरक्षा को लेकर और ज्यादा चिंता बढ़ जाती है। हालांकि, बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर शिक्षकों ने मानवता दिखाते हुए बच्चों को आधे घंटे पहले ही स्कूल से छुट्टी देना शुरू कर दिया है ताकि वे सुरक्षित समय पर घर पहुंच सकें।

ग्रामीणों की उम्मीद..

ग्रामीणों का कहना है कि इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब बैजनपाठ और लुल्ह जैसे गांवों में मीडिल स्कूल खोले जाएं। बच्चों की सुरक्षा और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए यह आवश्यक है कि उन्हें बेहतर शैक्षणिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। ग्रामीणों को उम्मीद है कि प्रशासन जल्द ही इस दिशा में कुछ सकारात्मक कदम उठाएगा ताकि उनके बच्चों का संघर्ष कम हो और वे सुरक्षित वातावरण में अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें।

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