Chhattisgarh Employees Officers Federation – मशाल की लपटों में मांगों की गूंज छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन की चार सूत्रीय मांगों पर टकराव..
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SURAJPUR । छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के प्रांतीय आह्वान पर सूरजपुर जिला मुख्यालय सहित सभी विकासखंडों में कर्मचारी और अधिकारियों ने मशाल रैली निकालकर सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। इस रैली का मुख्य उद्देश्य फेडरेशन की चार सूत्रीय मांगों पर सरकार से त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करना था। कर्मचारियों ने मांगों पर अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं होने पर गहरी नाराजगी जताई और चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं होती हैं, तो प्रदेशभर में बेमुद्दत हड़ताल की जाएगी, वही तहसीलदार समीर शर्मा को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन ने ..।
फेडरेशन का आक्रोश और चार सूत्रीय मांगें..
छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के जिला संयोजक डॉ. आर.एस. सिंह ने बताया कि फेडरेशन की मांगों को लेकर कई बार राज्य सरकार को ज्ञापन सौंपा जा चुका है। इसके बावजूद अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। डॉ. सिंह ने कहा, “सरकार केवल आश्वासन देती रही है, जबकि हमारे मुद्दों पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। फेडरेशन ने अपनी चार प्रमुख मांगों को लेकर पहले ही मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को अवगत करा दिया था।
चार प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:-
- 1. केंद्र सरकार के समान महंगाई भत्ता : राज्य के कर्मचारियों को केंद्र सरकार के अनुरूप जनवरी 2024 से 4 % महंगाई भत्ता दिए जाने की मांग की गई है। साथ ही जुलाई 2019 से लंबित महंगाई भत्ता एरियर का भुगतान भी किया जाए।
- 2. चार स्तरीय वेतनमान : केंद्र के समान चार स्तरीय वेतनमान प्रदान करने की मांग की जा रही है। इससे कर्मचारियों को वित्तीय लाभ होगा और वेतन विसंगतियां दूर होंगी।
- 3. गृह भाड़ा भत्ता (HRA) : राज्य कर्मचारियों को केंद्र सरकार की तर्ज पर गृह भाड़ा भत्ता प्रदान किया जाए, ताकि महंगाई के इस दौर में उन्हें उचित राहत मिल सके।
- 4. अर्जित अवकाश नगदीकरण : वर्तमान में 240 दिन के अर्जित अवकाश के स्थान पर इसे 300 दिन करने की मांग की गई है, जिससे कर्मचारियों को उनके सेवानिवृत्ति के समय अधिक लाभ प्राप्त हो सके।
सरकार के वादे पर सवाल..
फेडरेशन ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने चुनाव से पहले इन मांगों को पूरा करने का वादा किया था, लेकिन अब तक सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। डॉ. सिंह ने बताया कि फेडरेशन ने पहले भी सरकार को कई ज्ञापन सौंपे हैं, जिनमें से एक ज्ञापन कलेक्टर के माध्यम से 06 अगस्त 2024 को मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को सौंपा गया था। उन्होंने यह भी कहा, “चुनाव के समय मौजूदा सांसद विजय बघेल और वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी ने वीडियो जारी कर यह वादा किया था कि अगर सरकार बनती है तो मांगों को तत्काल पूरा किया जाएगा। अब जबकि वे सत्ता में हैं, मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
मशाल रैली का शांतिपूर्ण प्रदर्शन – निकाली गई मशाल रैली में बड़ी संख्या में कर्मचारी-अधिकारी शामिल हुए। रैली सूरजपुर जिला मुख्यालय सहित सभी विकासखंडों में निकाली गई, जिसमें फेडरेशन के विभिन्न संगठनों के प्रदेश पदाधिकारी, जिलाध्यक्ष, और ब्लॉक अध्यक्ष मौजूद थे। यह रैली पूरी तरह से शांतिपूर्ण रही और इसमें शामिल कर्मचारियों ने सरकार से जल्द कार्रवाई की मांग की। रैली के दौरान सभी ने एक स्वर में कहा कि अगर जल्द ही सरकार कोई ठोस निर्णय नहीं लेती है, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
27 सितंबर को सामूहिक अवकाश की योजना..
फेडरेशन ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर उनकी मांगों पर तुरंत कोई सकारात्मक पहल नहीं होती है, तो फेडरेशन 27 सितंबर को प्रदेशभर में एक दिवसीय सामूहिक अवकाश लेकर धरना-प्रदर्शन करेगा। इसके बाद भी अगर मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो प्रदेशभर के कर्मचारी-अधिकारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
भविष्य की योजना फेडरेशन ने अपने अगले चरण के आंदोलन की योजना भी तैयार कर ली है। अगर 27 सितंबर तक भी मांगों पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता है, तो फेडरेशन प्रदेशभर के सरकारी कार्यालयों में तालाबंदी करेगा। इससे राज्य के प्रशासनिक कामकाज पर व्यापक असर पड़ सकता है। फेडरेशन के पदाधिकारियों ने यह भी बताया कि प्रदेश के सभी सरकारी अधिकारी और कर्मचारी इस आंदोलन में एकजुट होकर हिस्सा लेंगे, जिससे सरकार पर दबाव बनाया जा सके।
आंदोलन को लेकर सरकार की प्रतिक्रिया – राज्य सरकार ने अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार सरकार इस मामले को लेकर विचार-विमर्श कर रही है और जल्द ही कोई समाधान निकालने की योजना बना रही है। कर्मचारियों की मांगों पर हो रही देरी को लेकर सरकार पर विपक्ष भी लगातार दबाव बना रहा है। अब देखना यह होगा कि सरकार कर्मचारियों की मांगों को किस प्रकार से हल करती है।
फेडरेशन की अंतिम चेतावनी – फेडरेशन ने साफ कर दिया है कि अगर उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं होती हैं, तो प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों का आक्रोश बढ़ता जाएगा और इससे राज्य सरकार के कामकाज पर गहरा असर पड़ेगा। फेडरेशन के पदाधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार को अब इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए, अन्यथा इसका परिणाम उनके लिए गंभीर हो सकता है।
इस मशाल रैली के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। अब सभी की निगाहें राज्य सरकार पर हैं कि वह इस संकट का समाधान कैसे निकालती है और कर्मचारियों को उनके हक का लाभ कब तक मिलता है।
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