Ganesh Chaturthi : सूरजपुर में गणेश चतुर्थी की तैयारियां जोरों पर, मूर्तिकारों की कला का दिख रहा नया अंदाज
1 min readGanesh Chaturthi : सूरजपुर जिले में गणेश चतुर्थी की तैयारी में जोर पकड़ लिया है हर साल की तरह इस साल हिंदी श्रद्धालु भगवान गणेश की मूर्तियों को स्थापित करने के लिए बड़ी उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं, जहां मूर्ति करो ने भी अपनी पूरी कला और समर्पण के साथ गणेश प्रतिमाओं को तैयार करना शुरू कर दिया है। और इस साल कुछ खास और अनोखी मूर्तियां तैयार करते नजर आ रहे हैं।
अन्य राज्यों से आ रहे हैं कारीगर..
इस बार फिर कारीगरों का एक ख़ास डाल आया है जो पश्चिम बंगाल उड़ीसा से हैं यह कारीगर खास तकनीक का उपयोग करते हुए मिट्टी और प्लास्टर ऑफ पेरिस की भी मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं जहां मूर्तिकार 3 महीने पहले से ही आकर अपना काम प्रारंभ कर देते हैं। वह स्थानीय बाजारों और मंदिरों में भी गणेश मूर्ति की मूर्तियां देखने को मिल रही है साथी व्यवसाययों का कहना है कि इस बार बड़े व छोटे आकार की मूर्तियों की मांग अधिक है खासकर ऐसे गणेश जी जिन्हें अनोखे रंग और डिजाइन से सजाया गया है। यहां मूर्तियों की कीमत 100 रुपये से लेकर लगभग 15 हजार रुपये तक है. गणेश महोत्सव के लिए सबसे छोटी मूर्ति 7 इंच की और सबसे बड़ी मूर्ति 7 फीट की है.
पर्यावरण के प्रति जागरूकता..
पिछले कुछ वर्षों से लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ी है, और इस साल भी पर्यावरणीय मूर्तियों की मांग में वृद्धि देखी जा रही है। पर्यावरण के अनुकूल गणेश मूर्तियाँ, जो मिट्टी और प्राकृतिक रंगों से बनाई जा रही हैं, काफी लोकप्रिय हो रही हैं। इसके साथ ही, विसर्जन के बाद पानी में घुलने वाली मूर्तियों की मांग भी अधिक है। मूर्तिकार इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं कि उनकी मूर्तियाँ पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुँचाएँ।
Ganesh Chaturthi – मूर्तियों में दिख रही है नई झलक
इस साल मूर्तियों में कुछ खास झलकियाँ देखने को मिल रही हैं। मूर्तिकारों ने भगवान गणेश की पारंपरिक मुद्रा के साथ-साथ आधुनिक और अनोखे रूपों में भी मूर्तियाँ बनाई हैं। यह नए विचार और कलात्मकता सूरजपुर के लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं।
सूरजपुर में गणेश चतुर्थी का पर्व हमेशा से ही धूमधाम से मनाया जाता रहा है। इस बार भी मूर्तिकारों और भक्तों में उत्साह का माहौल है। हर कोई गणपति बप्पा को घर लाने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहा है। इस उत्सव ने एक बार फिर जिले में सांस्कृतिक और धार्मिक एकता को मजबूती दी है।
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