आज का पंचांग, 17 जुलाई 2024: आज देवशयनी एकादशी व्रत, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त
1 min readDevashyani Ekadashi Almanac News : राष्ट्रीय मिति: आषाढ़ 26, शक सम्वत् 1946, आषाढ़, शुक्ल, एकादशी, बुधवार, विक्रम सम्वत् 2081। सौर श्रवण मास प्रविष्टे 02, अंग्रेजी तारीख 17 जुलाई सन् 2024 ई। आज सूर्य दक्षिणायन, उत्तर गोल, वर्षा ऋतु में है।
राहुकाल और मुहूर्त
राहुकाल का समय मध्याह्न 12 बजे से 01 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। एकादशी तिथि रात्रि 09 बजकर 03 मिनट तक रहेगी, इसके बाद द्वादशी तिथि का आरंभ होगा। अनुराधा नक्षत्र अर्धरात्रोत्तर 03 बजकर 13 मिनट तक रहेगा, इसके बाद ज्येष्ठा नक्षत्र शुरू होगा। शुभ योग प्रातः 07 बजकर 04 मिनट तक रहेगा, इसके बाद शुक्ल योग का आरंभ होगा। वणिज करण प्रातः 08 बजकर 49 मिनट तक रहेगा, इसके बाद बव करण शुरू होगा। चन्द्रमा पूरे दिन रात वृश्चिक राशि पर संचार करेगा।
आज के व्रत और त्योहार
आज देवशयनी या हरिशयनी एकादशी व्रत है। इसके अलावा चातुर्मास्य व्रत और श्री विष्णु शयनोत्सव भी मनाया जाएगा।
सूर्योदय और सूर्यास्त
सूर्योदय का समय सुबह 5 बजकर 34 मिनट पर होगा और सूर्यास्त का समय शाम में 7 बजकर 20 मिनट पर होगा।
विशेष समय
– अभिजित मुहूर्त: दोपहर में 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।
– निशिथ काल: मध्यरात्रि रात में 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक।
– गोधूलि बेला: शाम 7 बजकर 19 मिनट से 7 बजकर 39 मिनट तक।
– अमृत काल: सुबह 5 बजकर 34 मिनट से 7 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
अशुभ मुहूर्त
– राहुकाल: दोपहर में 12 बजे से 1 बजकर 30 मिनट तक।
– गुलिक काल: सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 12 बजे तक।
– यमगंड: सुबह 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक।
– दुर्मुहूर्त काल: दोपहर में 12 बजे से 12 बजकर 55 मिनट तक।
– भद्राकाल: सुबह 8 बजकर 54 मिनट से 9 बजकर 2 मिनट तक।
उपाय
गणेशजी को आज गेंदे के फूल अर्पित करें और भगवान विष्णु की उपासना भी करें। यह उपाय आपके दिन को शुभ और सकारात्मक बनाएंगे।
पूजा विधि और महत्व
देवशयनी एकादशी का व्रत विष्णु भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसे हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु शयन करते हैं और चार महीने तक शयनावस्था में रहते हैं। इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है। इस समय में विवाह और अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
पूजा के शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और विष्णु जी को तुलसी दल अर्पित करें। कथा सुनें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं। इस व्रत के पालन से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
चातुर्मास का महत्व
चातुर्मास का आरंभ देवशयनी एकादशी से होता है। इस समय में भक्तगण नियम-पालन करते हैं और साधना में लीन रहते हैं। चातुर्मास में खान-पान और आचार-विचार का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस दौरान भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन करते हैं और सारी सृष्टि की देखरेख करते हैं।
धार्मिक कार्य
इस दौरान भगवान विष्णु और शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। व्रत, उपवास और दान-पुण्य का पालन करना चाहिए। श्रीमद्भागवत का पाठ और गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। इस समय में सत्संग, साधना और भजन-कीर्तन करना चाहिए।
पंचांग का अध्ययन
पंचांग का अध्ययन जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करता है। यह न केवल धार्मिक कार्यों के लिए बल्कि दैनिक जीवन के कार्यों में भी सहायक होता है। पंचांग में विभिन्न तिथियों, नक्षत्रों और योगों की जानकारी दी जाती है, जो शुभ और अशुभ समय को जानने में मदद करती है।
शुभ कार्य
देवशयनी एकादशी के दिन शुभ कार्य करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत और उपवास करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भक्तगण पूरे दिन उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन में लीन रहते हैं।
देवशयनी एकादशी व्रत का पालन करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होता है, जो जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
इस प्रकार, आज का पंचांग और देवशयनी एकादशी व्रत का महत्व समझकर, आप अपने जीवन में शुभता और सकारात्मकता ला सकते हैं। भगवान विष्णु की कृपा आप पर बनी रहे।
उक्त जानकारी इस संबंध में विशेषज्ञों से सलाह लेना उपयोगी हो सकता है।
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