उल्लास कार्यक्रम : 2025 तक 35 हजार असाक्षरों को साक्षर बनाने का संकल्प
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SURAJPUR NEWS
आज सूरजपुर के संयुक्त जिला कार्यालय में कलेक्टर रोहित व्यास की उपस्थिति में जिला साक्षरता मिशन प्राधिकरण के सदस्यों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के क्रियान्वयन पर विस्तार से चर्चा की गई। जिला शिक्षा अधिकारी राम ललित पटेल ने कार्यक्रम की रूपरेखा और कार्य योजना के बारे में सभी अधिकारियों को विस्तार से जानकारी दी। कलेक्टर रोहित व्यास ने उल्लास कार्यक्रम के विभिन्न घटकों पर चर्चा करते हुए जोर दिया कि इस कार्यक्रम में सभी कार्य त्रुटि रहित हों और अधिक से अधिक असाक्षरों को इस कार्यक्रम से जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि आज के दौर में प्रत्येक व्यक्ति का डिजिटल साक्षर होना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही जीवन कौशल, चुनावी साक्षरता, बुनियादी साक्षरता, सतत शिक्षा, और कानूनी साक्षरता जैसे विषयों पर भी ध्यान दिया जाएगा।
कार्यक्रम के लक्ष्य उल्लास कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जिले में मार्च 2025 तक 35,000 असाक्षरों को साक्षर बनाना है। यह कार्यक्रम नई शिक्षा नीति 2020 के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में आरम्भ किया गया है। सर्वप्रथम, इस कार्यक्रम के तहत जिले में व्यापक डाटा सर्वे का कार्य किया जा रहा है। सर्वे और डाटा एंट्री के कार्य के पूर्ण होने के बाद, राज्य कार्यालय के दिशा-निर्देशों के तहत स्वयंसेवी शिक्षकों का प्रशिक्षण और कक्षाओं का संचालन प्रारंभ किया जाएगा।
डिजिटल और कानूनी साक्षरता पर विशेष जोर कलेक्टर रोहित व्यास ने कहा कि आधुनिक समाज में डिजिटल साक्षरता अत्यंत आवश्यक है। इसके माध्यम से लोग न केवल तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे, बल्कि डिजिटल दुनिया के विभिन्न पहलुओं को भी समझ सकेंगे। इसके अलावा, कानूनी साक्षरता भी एक महत्वपूर्ण घटक है, जिससे लोग अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक हो सकेंगे
कार्यक्रम का क्रियान्वयन उल्लास कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। कलेक्टर ने सभी अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि कार्यक्रम के प्रत्येक चरण को सही और समय पर पूरा किया जाए।
उल्लास कार्यक्रम सूरजपुर जिले में साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। 2025 तक 35,000 असाक्षरों को साक्षर बनाने का लक्ष्य एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, लेकिन जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग की समर्पित कोशिशों से यह संभव हो सकेगा। यह कार्यक्रम न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति लाएगा, बल्कि समाज के हर वर्ग को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।