“70 साल पुराना पुल बना खतरे का रास्ता, रोज़ाना डर के साए में सफर कर रहे हैं लोग”
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AMIR PATHAN
सूरजपुर। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर ज़िले में महान नदी पर बना भौंसामुंडा पुल अब लोगों के लिए मौत का फंदा बनता जा रहा है। सात दशक पुराना यह पुल अब इतनी बुरी हालत में पहुंच चुका है कि हर गुजरने वाला वाहन इसे एक नई चुनौती दे रहा है। पुल में जगह-जगह दरारें पड़ चुकी हैं, सरिए बाहर निकल चुके हैं और पीलरों की हालत इतनी खराब हो गई है कि पुल भारी वाहनों के गुजरते ही हिलने लगता है।
स्थानीय लोगों और वाहन चालकों के अनुसार, यह पुल अब बेहद खतरनाक हो चुका है। अंबिकापुर-बनारस मार्ग पर स्थित यह पुल प्रतिदिन हज़ारों छोटे-बड़े वाहनों का भार उठाता है, लेकिन लंबे समय से इसकी मरम्मत नहीं की गई है। लोगों का कहना है कि कई बार अफसरों को सूचित किया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
70 साल पुराना है पुल, पीलर से निकल चुके हैं लोहे के छड़
जानकारी के अनुसार, भौंसामुंडा में महान नदी पर यह पुल लगभग 70 वर्ष पहले बनाया गया था। तब इसकी डिज़ाइन व निर्माण प्रणाली पुराने ढांचे के अनुसार की गई थी। समय के साथ यह पुल जर्जर होता चला गया। हाल के वर्षों में हुई भारी बारिश और बाढ़ ने इसकी हालत और बिगाड़ दी। अब पुल के नीचे लगे पीलरों से बीयरिंग तक निकल चुके हैं और लोहे की छड़ें बाहर आ चुकी हैं। ऐसे में पुल की स्थिति पूरी तरह से खतरे की ओर इशारा कर रही है।
ड्राइवरों की सांस अटकती है, यात्री हर बार डर के साये में सफर करते हैं
पुल से गुजरने वाले वाहन चालकों का कहना है कि सरकार हर साल रोड टैक्स लेती है, लेकिन जब बात सुविधा और सुरक्षा की आती है तो कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं दिखता। ट्रक ड्राइवर विनोद यादव ने कहा, “हर बार इस पुल से गुजरते हैं, लगता है जैसे जान हथेली में लेकर चल रहे हैं। कभी भी कुछ भी हो सकता है।”
जिम्मेदार अफसर कैमरे से बचते नजर आए, ऑफ रिकॉर्ड कबूल ली पुल की खराब हालत
पूरे मामले पर जब सेतु विभाग से संपर्क किया गया तो जिम्मेदार अफसर कैमरे के सामने कुछ भी कहने से बचते नजर आए। हालांकि, ऑफ रिकॉर्ड उन्होंने माना कि पुल पुरानी तकनीक से बना है और उसकी मरम्मत अब संभव नहीं है। विभाग की ओर से एक नया पुल बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया है।
सरकार से उठ रहे सवाल – क्या किसी बड़े हादसे के बाद ही जागेगा सिस्टम?
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही और सरकारी अनदेखी के चलते यह पुल अब जानलेवा साबित हो रहा है। सवाल यह है कि आखिर कब तक आम लोग इस खतरे के बीच सफर करने को मजबूर रहेंगे? क्या किसी बड़े हादसे का इंतज़ार किया जा रहा है?
गांव वालों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन को लिखित और मौखिक रूप से इस पुल की मरम्मत के लिए कहा, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला। अब उनका सब्र टूट रहा है और वे प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
फिलहाल सूरजपुर का भौंसामुंडा पुल सिर्फ एक पुल नहीं, बल्कि एक ‘टाइम बम’ बन चुका है, जो किसी भी दिन फट सकता है। और जब ऐसा होगा, तो जिम्मेदारों की चुप्पी और लापरवाही ही सबसे बड़ा अपराध मानी जाएगी।