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28th March 2024

देख,, तेरे,, संसार,, की,, हालत,, क्या,, हो,,, गई,,,🤔

1 min read

IN ANWAR KHAN

सूरजपुर

देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान,,, कितना बदल गया इंसान,, जी हां ये 1954 में आई फिल्म, नास्तिक का गाना है, जिसे कवि प्रदीप ने अपना आवाज दिया था, ये गाने के बोल सूरजपुर से लगभग 100 किलोमीटर दुर बिहारपुर के ग्राम महुली में रहने वाली वृद्ध महिला रूकमन खैरवार के जीवन का ही हिस्सा मानो प्रतीत होता है,,, जाने क्या है,, पुरा मामला,,,!!

सूरजपुर जिले के दूरस्थ क्षेत्र चांदनी बिहारपुर और के ग्राम महुली में निवासरत वृद्धा रूकमन खेरवार पिछले 20 वर्षों से निराश्रित पेंशन के लिए दर-दर भटक रही है जिसका सुध लेने वाला कोई नहीं है सरपंच सचिव व अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के पास दौड़ते दौड़ते गुड़िया के पांव नहीं थकते वृद्धा इसी उम्मीद से हर रोज सचिव सरपंच के द्वार पर भटकती रहती है कि हो सकता है कि मुझे निराश्रित पेंशन मिल जाए लेकिन पिछले 20 वर्षों से लेकर आज तक ना जाने कितने सचिव लोगों के पास गई सरपंच लोगों के पास गए लेकिन इस बृद्धा की दुहाई सुनने वाला कोई नहीं है

80 वर्ष की उम्र पार कर चुकी है वृद्धा
ज्ञातव्य हो कि वृद्धा की उम्र लगभग 80 वर्ष है वृद्धा को आंखों से भी बहुत कम दिखाई देता है वह अत्यधिक बूढ़े हो जाने के कारण विधा को चलने फिरने में भी परेशानी है शासन की महत्वाकांक्षी योजना निराश्रित वृद्धा पेंशन ना मिलने से वृद्धा की हालत अत्यंत दयनीय है विधा को तन ढकने के पूरे कपड़े भी उपलब्ध नहीं है

30 वर्ष पहले ही गुजर चुका है वृद्धा का पति
वृद्धा का पति लगभग 30 वर्ष पहले ही इस दुनिया से गुजर चुका है वृद्धा अपने बेटे के साथ झोपड़ी में रहती है व उन्हीं के साथ गुजर-बसर करती हैं

शासन की ओर से दिया जाने वाला 10 किलो चावल भी नहीं मिलता वृद्धा को

प्रशासन की महत्वाकांक्षी योजना अंत्योदय योजना के तहत निराश्रित गरीबों को निशुल्क 10 किलो चावल प्रदाय किया जाता है लेकिन वृद्धा को वह 10 किलो चावल भी नसीब नहीं है जिसके वजह से गुड़िया का जीवन और दूभर हो गया है

फटे झोले में कागज लेकर भटकती है वृद्धा

वृद्धा अपने जरूरी कागजात फोटो आधार कार्ड परिचय पत्र इत्यादि झोले में रखकर सभी कागज सहित कभी सरपंच के पास कभी सचिव के पास जाते रहती है लेकिन वृद्धा को सिर्फ आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिलता

4 पंच वर्षीय बीत चुके वृद्धा को दौड़ते दौड़ते

वृद्धा पिछले 20 वर्षों से पेंशन के लिए लगातार संघर्ष करते आ रही है लेकिन वृद्धा का सुध लेने वाला अभी तक कोई नहीं रहा कितने सचिव आए और कितने चले गए वह कितने सरपंच भी बदल गए लेकिन वृद्धा की स्थिति जस की तस बनी हुई है व और भी दयनीय हो गई है

उक्त समाचार पूर्व में लगने से सरपंच और सचिव ने एक माह का पेंशन वृद्धा को दिया था, किन्तु अब लगभग 6 महिने बीत गये हैं, वृद्धा को एक भी पैसा नहीं मिला है। इस संबंध में ग्राम पंचायत महुली के सचिव ने बताया कि वृद्धा का पेंशन अभी तक स्वीकृत नहीं हुआ है। एक माह का पेंशन वितरण सरपंच और सचिव ने अपने जेब से किया था।

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